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Fruits and vegetables पर मजेदार कविता

आज की इस कविता Fruits and vegetables पर मजेदार कविता के माध्यम से कवि हमें सब्जियों व फलों के गुणों के बारे में बताकर उनके मूल्य से अवगत करवाना चाहते हैं। 

मीठा लगे केळा खड़बूजा,

       आंवळा म तोरा की तासीर। 

आयुर्वेद को बरदान आंवळो,

       सगळी तरकार्याँ को वजीर। 

कड़वो लागे सा करेलो म्हांनैं,

       केर्यां क खटाई की जागीर। 


अर्थ : कवि हमें सब्जियों व फलों के गुणों के बारे में बताते हुए कहते हैं कि केला और खरबूजा ऐसे दो फल हैं जो सभी को मीठे लगते हैं, तथा आंवले में तो तोरा ( खट्टे ) पन का गुण होता है जिसके कारण वह सभी को स्वाद में तोरा या खट्टा लगता है। 

आंवला भले ही स्वाद में तोरा लगता हो परन्तु वह आयुर्वेद के लिए एक बहुत बड़ा वरदान है क्योंकि इससे कईं प्रकार की बिमारियों को दूर किया जाता है, व इसी के साथ सभी सब्जियों में इसकी भूमिका एक वजीर ( मंत्री ) की तरह है। 

तीसरी पंक्ति में कवि कहते हैं कि उन्हें और संसार के कईं लोगों को करेला स्वाद में बहुत कड़वा लगता है, और केरियों को तो ईश्वर द्वारा खटाई रूपी संपत्ति मिली हुयी है जिसके कारण वह स्वाद में खट्टी लगती है। 

Fruits and vegetables पर मजेदार कविता
Fruits and vegetables पर मजेदार कविता 

बैंगण खांवां बड़ा चाव सूं,

       करूंदो भी कैरी को बीर। 

लौकी कद्दू दोन्यूं गुणकारी,

       कांदो लावे आंख्यां म नीर। 

आलू सा का ठाठ निराळा,

       लेबा वाळां की नतकै भीड़। 


अर्थ : कवि कहते हैं कि हम सभी को बैंगन बहुत अधिक पसन्द होता है इसलिए हम उसे बड़े ही चाव ( स्वाद ) के साथ खाते हैं, केरी के साथ-साथ करूंदा भी खटाई के गुणों को धारण करता है जिसके चलते अपने गुणों के कारण केरी व करूंदा दोनों भाई-बहन की तरह लगते हैं। 

दूसरी पंक्ति में कवि बताते हैं कि हम सभी के लिए लौकी व कद्दू दोनों सब्जियाँ अत्यधिक गुणकारी है अतः हमें उन्हें अधिक खाना चाहिए, परन्तु हम इन्हें तो कम खाते हैं और प्याज को ज्यादा खाते हैं जो कि काटते वक्त भी हमारी आँखों में आँसू लाता है और खरीदते वक्त भी। 

अब बारी आती है आलू की। जिसकी शान-ओ-शौकत तथा बनावट दोनों ही निराली ( अलग ) हैं, और प्रतिदिन बाजार में इसे खरीदने वालों की भीड़ देखी जाती है क्योंकि इसका अपना ही एक अलग अंदाज है जिसके चलते सभी इसको पसंद करते हैं। 
          

नींबू नारंगी आमली संतरा,

       सामने वाळा न करे अधीर। 

देखतांईं मूंडा म पांणीं आवे,

       कुंण समझे दूजां की पीड़। 

टिंडा टमाटर कांकड़ी खीरो,

       भिंडी गोभी मटर करे गंभीर। 


अर्थ : कवि बताते हैं कि नीम्बू, नारंगी, इमली और संतरा इन सभी में ऐसे गुण पाये जाते हैं कि यह सामने वाले व्यक्ति को व्याकुल कर देते हैं फिर वह इन्हें खाये बगैर रह ही नहीं पाता। एक बार तो यह सामने वाले व्यक्ति के मन में इन्हें खाने की इच्छा जाग्रत कर ही देते हैं। 

इन्हें देखते हीं इनके खट्टे-मीठे स्वाद के कारण हम सभी के मन में पानी आ जाता है, फिर कोई भी हमारी पीड़ा को नहीं समझता क्योंकि इसमें हमारा नहीं बल्कि इनके गुणों का दोष है इनके गुण ही ऐसे हैं कि जिसके कारण इन्हें जो भी देखता है उसके मन में यह एक बार तो यह पानी लाने में कामयाब हो ही जाते हैं। 

तीसरी पंक्ति में कवि कहते हैं कि कभी-कभी तो टिंडा, टमाटर, ककड़ी, खीरा, भिंडी, गोभी और मटर आदि सब्जियों के दाम इतने अधिक बढ़ जाते हैं कि फिर इंसान इन्हें खरीदने के लिए सोंच में पड़ जाता है। 
      

गिलकी थरोई ग्वांर फल्यां,

       कैर सांगरी लहसंण मतीर। 

बाथळी खुंणीजरो डांडीचंवळो,

       हरा धण्यां को सब म सीर। 

मैथी पालक मूळी गाजर,

       स्याग्यां की छै लंबी लकीर। 


अर्थ : कवि बताते हैं कि कुछ सब्जियाँ जैसे - गिलकी, थरोई ( तोरई ), ग्वांर फली, कैर सांगरी आदि ऐसी सब्जियाँ हैं जो अपने स्वाद को तभी बढ़ाती हैं जब उनमें लहसुन को डाला जाता है अर्थात यह सब्जियाँ तभी अपने गुणों को ज्यादा प्रदर्शित करेंगी, जब इनके साथ लहसुन को जोड़ा जाएगा। 

दूसरी पंक्ति में कवि कहते हैं कि चाहे बाथली हो, खुणीजरा ( राजस्थान के हाड़ोती क्षेत्र में पायी जाने वाली एक प्रकार की हरी सब्जी ) हो, डांडी चौलई हो या कोई अन्य सब्जी सभी में हरे धनिये को डाला जाता है क्योंकि हरा धनिया सभी सब्जियों के साथ अपने गुण को प्रदर्शित कर स्वाद को बढ़ाने का काम करता है। 

अब हम सर्दी के मौसम की सब्जियों पर आते हैं। मैथी, पालक, मूली, गाजर व अन्य कईं प्रकार की स्वादिष्ट सब्जियों को खाने का आनंद हमें सिर्फ सर्दियों में ही मिल पता है। 
            

हळदी अदरक चीकू सेब,

       नासपति अनार हरले पीर। 

घणौं रसीलो आम पाको,

       कटैळ गरीबां सूं कोसां दूर। 

अंगूर पपीतो जामुण तरबूज,

       स्याळा को सहजादो खजूर। 


अर्थ : कवि कहते हैं कि हल्दी, अदरक, चीकू, सेब, नासपति व अनार में ऐसे गुण पाये जाते हैं कि वह सभी रोगियों के दुःखों या पीड़ाओं को हर ( नष्ट करना ) लेते हैं अर्थात बीमार होने पर मरीज को यह सभी चीजें दी जाती है ताकि वह जल्द से जल्द स्वस्थ हो सके। 

दूसरी पंक्ति में कवि बताते हैं कि पका हुआ आम बड़ा ही रसीला व अत्यधिक मीठा होता है जिसके कारण हर कोई उसे खाना चाहता है, तथा कटहल एक ऐसी सब्जी है जो की महँगी मिलती है जिसके कारण बेचारे गरीब व्यक्ति तो उसे खरीद ही नहीं पाते।

अंगूर, पपीता, जामुन, तरबूज और सर्दियों का राजकुमार खजूर यह सभी अपने मीठे व स्वादिष्ट गुणों के कारण जाने जाते हैं। 
          

फळ तरकारी की होगी बातां,

       ये सब पौष्टिकता सूं भरपूर।  

रूत गुण देख काम म लीज्यो,

       खिल जावे मुखड़ा को नूर ।।


अर्थ : कवि कहते हैं कि अब फल और सब्जियों की बातें बहुत होगी, ये सभी तो पौष्टिक गुणों से भरे हुए हैं अर्थात इन सभी सब्जियों व फलों में पौष्टिकता कूट-कूटकर भरी हुयी है। 

अंतिम पंक्ति में कवि कहते हैं कि यह सभी फल व सब्जियाँ इतने अधिक गुणकारी हैं कि यदि हम इन्हें इनके गुणों के आधार पर काम में लेते हैं तो इससे हमारे चेहरे की सुंदरता ओर भी अधिक खिल उठती है। अर्थात यदि हम इनके गुणों के आधार पर इन्हें उपयोग में ले लेते हैं तो हमारे शरीर के सारे रोग-दोष दूर हो जाते हैं।    


👀 Meetha Laage Kela Kharbooja,

       Aanvla Me Tora Ki Taseer . 

Aayurved Ko Bardan Aanvlo,

       Sagli Tarkaaryaan Ko Wajeer . 

Kadwo Laage Sa Karelo Mhanai,

       Keryaan Ke Khatai Ki Jageer . 

Baingan Khaanwa Bada Chaav Soon,

       Karundo Bhi Kairi Ko Beer . 

Louki Kaddu Donyu Gunkari,

       Kaando Laave Aankhyan Me Neer . 

Aalu Sa Ka Thath Nirala,

       Leba Wala Ki Natkai Bheed . 

Neembu Narangi Aamli Santra,

       Samne Wala Ne Kare Adheer . 

Dekhtaeen Moonda Ma Pani Aave,

       Kun Samjhe Doojan Ki Peed . 

Tinda Tamatar Kaankdi Kheero,

       Bhindi Gobhi Matar Kare Gambheer . 

Gilki Tharoi Gwar Falyan,

       Kair Sangri Lahasan Mateer . 

Baathli Khunijro Daandichavlo,

       Hara Dhanyaa Ko Sab Me Seer . 

Maithi Palak Mooli Gajar,

       Syaagya Ki Chhai Lambi Lakeer . 

Haldi Adrak Cheeku Seb,

       Naspati Anar Harle Peer . 

Ghanou Raseelo Aam Paako,

       Katail Gareeban Soo Kosaan Door . 

Angur Papeeto Jamun Tarbuj,

       Syaala Ko Sahajaado Khajur . 

Fal Tarkari Ki Hogi Baataa,

       Ye Sab Poushtikta Soo Bharpur . 

Rut Gun Dekh Kaam Me Leejyo,

       Khil Jave Mukhda Ko Noor ..   

  हमें आशा है कि आपको ऊपर दी गयी कविता को पढ़कर के बहुत मजा आया होगा। अतः इस कविता से यह निष्कर्ष निकलता है कि हमें कड़वी सब्जियों व फलों से बचने के बजाय उन्हें खाना चाहिए क्योंकि जो गुणकारी तत्व उनमें होते हैं वह किसी मीठे फल व सब्जियों में नहीं होते। ☝     

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