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Saas bahu पर कविता|Poem on saas bahu in hindi

आज के इस Blog में कवि सास-बहु के बीच होने वाली वार्तालाप या नोकझोंक को एक सुन्दर कविता सास बहु पर कविता|Poem on saas bahu in hindi  के माध्यम से दर्शाना चाहते हैं। वह इस कविता के माध्यम से हमें बताना चाहते हैं कि आजकल सास-बहु के बीच किस तरह के रिश्ते बन गये हैं और इनमें कैसे सुधार करें जिससे की इन रिश्तों के बीच की कड़वाहट दूर हो सके।  


सास कहे थू बावळी,

              म्हूं थारी उस्ताद। 

सासू जी रैहबा दो थै,

              क्यूं बढ़ावो बात। 

थांकी हद म ई रैवो न,

              मत करावो राड़। 


अर्थ : शुरूआती पंक्तियों में कवि सास-बहु के मध्य होने वाली नोकझोंक ( वार्तालाप ) का वर्णन करते हुए कहते हैं कि सास अपनी बहु से कहती है कि तू तो पागल है, तब बहु अपनी सास को उत्तर देते हुए कहती है कि मैं पागल नहीं आपसे कईं गुना अधिक चालक ( बुद्धिमान ) हूँ। और दोनों के मध्य इस बात को लेकर वाद-विवाद बढ़ने लग जाता है तब बहु अपनी सास से कहती है कि सासू जी अब आप रहने भी दो, क्यूँ बात को बढ़ाना चाहते हो। 

बहुत सी बार सास अपने बेटे और बहु के बिच गलत फेहमियाँ पैदा कर दोनों के मध्य झगड़ा करवा देती है तब बहु को अपनी सास पर क्रोध आ जाता है और वह उनसे कह देती हैं कि आप अपनी हद ( Limit ) में ही रहा करो, आप क्यूँ हम पति-पत्नी के बीच झगड़ा करवाने पर तुली रहती हो। 

म्हांनै समझावे बीनणीं,

              थारी या औकात। 

नारी, नारी प जुल्म करे,

              दोन्यूं करे खुरापात। 

छोटी छोटी बातां म ईं,

              बिगड़ जावे छै बात। 


अर्थ : जब बहु उसकी सास से उसकी हद में रहने की बात कहती है, तो इस बात पर सास को भी अपनी बहु पर अत्यधिक क्रोध आ जाता है तब वह अपनी बहु से कहती है कि तू मुझे समझा रही है, तेरी इतनी औकात। तब दोनों स्त्रियों के बीच लड़ाई-झगड़े होने लग जाते हैं और दोनों ही एक-दूसरे पर जुल्म ( अत्याचार ) करने लग जाती हैं, तथा खुद को सही व दूसरे को गलत साबित करने के लिए दोनों ही योजनाएँ बनाने में लग जाती है। और छोटी-छोटी बातों को लेकर दोनों के बीच झगड़े शुरू हो जाते हैं, और कईं बार तो बात ज्यादा ही बिगड़ जाती है। 

एक दूजा प ये वार करे,

              कळैस की शुरुआत। 

शह मात को खेल चाले,

              एक डाळ प दूजी पात 

लोग बाग तमाशा देखे,

              मर्यादा होवे तार तार। 


अर्थ : कवि इन पंक्तियों के माध्यम से कहते हैं कि जब सास व बहु एक-दूसरे पर सही या गलत का इल्जाम लगाती है, तो इससे पूरे घर परिवार में कलेश ( तनाव ) जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है और घर का कोई भी व्यक्ति सुखी व शांतिपूर्ण जीवन नहीं जी पाता। जब सास व बहु दोनों के मध्य झगड़ा होता है, तो एक प्रतिस्पर्धा सी छिड़ जाती है और दोनों ही एक-दूसरे को हराने ( गलत शाबित करने ) में लगी रहती है, तथा दोनों ही स्वयं को सर्वश्रेष्ठ सिद्ध करने में चाहती है। 

जब सास व बहु दोनों में झगड़ा बढ़ जाता है तो उस झगड़े को देखने के लिए आस-पास ( अड़ोस-पड़ोस ) के लोग आ जाते हैं और झगड़े का आनन्द लेने लग जाते हैं, जिससे उस परिवार की मर्यादा ( मान-सम्मान ) नष्ट हो जाता है और पीछे से लोग बाग उस परिवार की बातें बनाकर बुराइयाँ करना शुरू कर देते हैं। 

Saas bahu पर कविता
Saas bahu पर कविता

यांनैं कुंण समझा पावे,

              घर म मंथरा को बास। 

सास बहु न बेटी मांने,

              खूब लड़ावे ऊंका लाड़। 

बहु, सास को मान करे,

              जद जार बंणें सा बात। 


अर्थ : सास बहु के मध्य की लड़ाई को देखते हुए कवि कहते हैं कि इन सास और बहु को कौन समझाए, जब उनके घर परिवार या आस-पास में ही उन्हें कोई भड़काने वाला हो क्योंकि अकसर देखा गया है कि किसी भी व्यक्तियों के मध्य लड़ाई-झगड़े अधिक तभी बढ़ते हैं जब उन व्यक्तियों को किसी अन्य व्यक्ति द्वारा एक-दूसरे के विरुद्ध भड़काया गया हो। 

इनके मध्य के झगड़े को देखते हुए कवि इनके रिश्ते में सुधार हेतू कुछ उपाय भी बताते हैं और वह यह है कि सास और बहु के रिश्ते अच्छे तभी हो सकते हैं जब सास अपनी बहु को अपनी बेटी के समान समझे, और उसके साथ बेटी की तरह प्रेम पूर्वक रहे तथा उसे खूब प्यार करे। 

इसी के साथ बहु भी सास को मान-सम्मान दे व उसकी भावनाओं का आदर करे, तभी सास व बहु दोनों के रिश्ते अच्छे बन सकते हैं। 

मां बेटी जस्या रिश्ता हो,

              तो कदी न होवे राड़। 

आपस म मीठा बतळावे,

              आणंद का खिंचे तार। 

घर बंण जावे एक मंदर,

              जागे दोन्यूं का भाग ।।


अर्थ : अंतिम पंक्तियों में कवि सास व बहु के रिश्तों को सुधारने के बारे में बताते हुए कहते हैं कि यदि सास व बहु के बीच माँ-बेटी जैसे रिश्ते होंगे और दोनों आपस में घुल-मिलकर रहेंगे, तो दोनों के मध्य कभी भी लड़ाई-झगड़े नहीं होयेंगे। साथ ही कवि बताते हैं कि यदि सास व बहु आपस में मधुर वचन बोलें ( प्रेम पूर्वक बात करें ) तो आनन्द ही आनन्द हो जाये। और घर परिवार एक मन्दिर की तरह बन जाए, जिससे बहु और सास दोनों के भाग खुल जाए। 

Modern saas bahu
Modern saas bahu

💨 Saas Kahe Thu Bavli,

              Mhu Thari Ustad . 

Saasu Ji Raihba Do Thai,

              Kyun Badhavo Baat . 

Thanki Hud Ma Ee Raivo Na,

              Mat Karavo Raad . 

Mhanai Samjhave Beenni,

              Thari Ya Aukat . 

Nari, Nari Pa Zulm Kare,

              Donyu Kare Khurapat . 

Chhoti Chhoti Baata Ma Ee,

              Bigad Jave Chhai Baat . 

Ek Dooja Pa Ye Waar Kare,

              Kalais Ki Shuruaat . 

Shah Maat Ko Khel Chaale,

              Ek Daal Pa Dooji Paat . 

Log Baag Tamasha Dekhe,

              Maryada Hove Taar Taar . 

Yaanai Kun Samjha Paave,

              Ghar Ma Manthara Ko Baas . 

Saas Bahu Na Beti Maane,

              Khoob Ladave Oonka Laad . 

Bahu, Saas Ko Maan Kare,

              Jad Jar Bane Sa Baat . 

Maa Beti Jasya Rishta Ho,

              To Kadi Na Hove Raad . 

Aapas Ma Meetha Batlave,

              Aanand Ka Khinche Taar . 

Ghar Ban Jave Ek Mandar,

              Jaage Donyu Ka Bhaag .........        


हमें आशा है कि आपको ऊपर दी गयी कविता सास बहु पर कविता|Poem on saas bahu in hindi  को पढ़कर समझ में आ गया होगा कि किस तरह के उपाय करने से सास व बहु दोनों के रिश्तों के बीच की कड़वाहट को दूर किया जा सकता है तथा यह भी समझ में आ गया होगा कि यदि सास व बहु के रिश्तों के बीच प्रेम भावना ना हो, तो उनके मध्य किस-किस तरह से झगड़े शुरू हो सकते हैं।         

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