Navratri-के त्यौहार पर हिंदी कविता
आओ भक्तों लो आया अब नवरात्रि का त्यौहार,
जिसके आते ही भक्ति भाव से जगमगाएं बाजार।।
जिसके आते ही भक्ति भाव से जगमगाएं बाजार।।
शेरों वाली मैया आज मां दुर्गा के रूप में आई हैं,
और असुरों को मारने के लिए शेर पर सवार हैं।।
इस दिन तो नृत्य करती हैं महिषासुर मर्दिनी,
और अपने सभी भक्तों को देती हैं वरदान।।
पहले तो सिंह वाहिनी सौंदर्य से सजी और किया श्रृंगार,
फिर सबको दर्शन देने अपने विराट रूप में आई।।
अर्थ :- नवरात्री के त्यौहार के नजदीक आ जाने पर कवि सभी भक्तों से कहते हैं कि सभी भक्तों ध्यान से सुनो अब नवरात्री का त्यौहार काफी नजदीक आ चुका है जिसके आने से अब बाजार में भी भक्ति की लहर सी छा गई है।
नवरात्री में नवमी के दिन माँ शेरा वाली दुर्गा के रूप में आती है और शेर पर सवार होकर सभी असुरों का संघार करती है।
और इस दिन माँ शेरा वाली नृत्य भी करती है तथा अपने सभी भक्तों को आशिर्वाद देती है कि उनके जीवन में कभी कोई संकट ना आए।
सबसे पहले तो माँ अपना श्रृंगार करती है और फिर अपने सभी भक्तों को दर्शन देने के लिए अपना विशाल रूप धारण करके आती है।
Navratri-के त्यौहार पर हिंदी कविता |
माँ दुर्गा पीताम्बर धारी हैं जिसे त्रिनेत्री भी कहते हैं,
और आज नवरात्री के अंतिम दिन पर माँ दुर्गा रूप में प्रकट हुई है।।
अपने सभी भक्तों की रक्षा करती हैं माँ दुर्गा,
टिकता नहीं इसके आगे कोई दैत्य और दानव।।
हर साल नवरात्रि के नौ दिन भक्तों द्वारा भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया जाता हैं,
और भजनों की होती है धूम-धाम, सभी भक्त मिलकर के उतारते हैं आरती और मिलकर लेते हैं माँ दुर्गा का नाम।।
भक्तों द्वारा जगतजननी, जगदम्बे माँ दुर्गा को दिये गये हैं कईं नाम,
सभी भक्त मिलकर जपे इनका नाम और संग में करे ध्यान।।
अर्थ :- कईं भक्तों द्वारा माँ दुर्गा को त्रिनेत्री भी कहा जाता है और यह अपने अस्त्र के रूप में पीतल से बना त्रिशूल धारण करती है, और नवरात्री के अंतिम दिन पर दुर्गा रूप धारण कर अपने सभी भक्तों को दर्शन देती है।
तथा माँ दुर्गा हमेशा अपने सभी भक्तों की लाज रखती है उन पर कभी भी कोई आँच नहीं आने देती है तथा यदि कोई दैत्य या दानव माँ के किसी भी भक्त को परेशान करता है तो यह उनका विनाश कर देती है।
प्रत्येक वर्ष जब नवरात्रे आते हैं तो माँ के सभी भक्तों द्वारा एक विशेष प्रकार के कार्यक्रम का आयोजन किया जाता हैं जिसमें सभी भक्त मस्ती से झूमते हुए माँ के भजनों को गाते रहते हैं व सभी मिलकर के माँ की आरती भी उतारते हैं।
माँ के सभी भक्त मिलकर के इनका नाम बड़े ही प्यार से जपते हैं तथा कईं भक्तों द्वारा तो माँ को अलग-अलग नाम भी दिये गये हैं जिसके चलते कईं बार माँ को उन नामों से भी पुकारा जाता है।
सभी के लिए नवरात्रि का यह पवित्र अवसर है बहुत ही शुभ,
क्योंकि होता है इसमें भक्ति और श्रद्धा का विस्तार।।
सभी भक्त गण मां दुर्गा के चरणों में जाएं और करे नमन,
ताकि अपने सभी दुःखों को भूल कर श्रद्धा के साथ हो अंतरात्मा की शुद्धि।।
अर्थ :- सभी लोगों के लिए नवरात्री के दिनों को बड़ा ही शुभ माना जाता है क्योंकि इन दिनों में माँ का आशिर्वाद सभी पर बना रहता है।
इसलिए नवरात्रे की शुरुआत होते हीं सभी भक्त सबसे पहले तो जाकर के माँ के चरणों में शीश झुकाएँ और फिर लें उनसे आशिर्वाद ताकि अपने सभी दुःखों को माँ हर लें और अपनी अंर्तात्मा की भी शुध्दि हो जाए।
जय जय मां अम्बे तुम हो जगदम्बे,
सभी भक्त गण नवरात्रि के इस पवित्र अवसर पर लें माँ का आशीर्वाद।।
Note :- कवि नवरात्री के इस पावन अवसर पर सभी भक्त गणों को एक ओर कविता सुनाना चाहते हैं ताकि भक्तों के मन में माँ के प्रति ओर अधिक श्रद्धा प्रकट हो सके -
सभी भक्तों ध्यान से सुनो अब नवरात्रि की रंगीन बेला है आई,
सभी ने मिलकर के खुशियों की धूम है मचाई।।
अब तो देवी आराधना का पर्व है आया,
मन में भक्ति की ज्योत है माँ ने जगाई।।
हर बार की तरह इस बार भी प्रसन्नता से आकर माँ वैष्णो ने,
सभी भक्तों के दिलों को मोह लिया है।।
प्रत्येक वर्ष नवरात्रि की शुभ अवसर पर,
सभी भक्त गण मिलकर जपें माँ दुर्गा का नाम।।
अर्थ :- दूसरी कविता के माध्यम से कवि कहते हैं कि सभी भक्त गणों अब आप पूरे ध्यान से सुनो कि अब नवरात्री की पावन बेला काफी समीप आ चुकी है, तो अब सभी को फिर से मिलकर के खूब धूम मचानी है।
अरे भक्तों अब तो माँ की भक्ति करने का अवसर आ चूका है और इस अवसर के आते ही माँ ने सभी भक्तों के मन में भक्ति की चिंगारी भी जला दी है, तो फिर अब रूकना किस बात का, चलो पूरी श्रध्दा और भक्ति के साथ इस त्यौहार को मनाते हैं।
जैसे हर बार माँ वैष्णो आकर के सभी भक्तों के मन को मोह लेती है वैसे ही इस बार भी उन्होंने सभी भक्तों के मन को भक्ति करने के लिए मोह लिया है।
इसलिए हर बार की तरह इस बार भी सभी भक्त मिलकर के माँ दुर्गा का नाम लें और मिलकर के गायें तू है जगदम्बे वाली, जय दुर्गे छप्पर वाली, तेरे ही गुण गायें, आरती ! हो मइया हम सब उतारे, तेरी आरती ,...
मंदिरों में पूजा और आरती की ध्वनि से,
गूँज उठता है घर-आँगन व मंदिर सारे।।
सभी भक्तों को मां की कृपा दिलाती सफलता,
और उन भक्तों के जीवन में सदा रहता उजियारा।।
भक्ति और श्रद्धा के साथ से जो जपें,
मां दुर्गा को वही अपने समीप है पाएं।।
माँ अपने भक्तों को सदा कष्टों से बचाए और आशीर्वाद दे,
नित-नित सफलता के नए रास्ते दिखाएं।।
अर्थ :- जब नवरात्रे आते हैं तो बाजों की ध्वनि से आस-पास के मंदिर व घर भी माँ के भजनों से गूँज उठते हैं।
जो भी भक्त इन दिनों माँ की खूब सेवा करता है तो माँ उसे उसके कार्य में सफलता अवश्य दिलाती है तथा उन भक्तों के जीवन में हमेशा खुशियाँ बनी रहती है।
जो भी भक्त इन दिनों माँ दुर्गा को पूरी भक्ति और श्रध्दा से पुकारता है, तो वह कुछ क्षण पश्चात् माँ को अपने समीप पाता है।
माँ हमेशा अपने भक्तों को सभी दुःखों से बचाती है तथा हमेशा उन्हें खुश रहने का आशिर्वाद देती है व रोज सफलता के नये-नये रास्ते दिखाती है।
हमारी यही मनोकामना की नवरात्रि के पावन अवसर पर,
हमारे सभी भक्तों को मिले माँ का प्यार और आशिर्वाद।।
अर्थ :- कवि अंतिम पंक्ती के माध्यम से कहते हैं कि हमारी माँ से यही मनोकामना है कि इस नवरात्री पर भी वह हमेशा की तरह अपने भक्तों पर अपना आशिर्वाद बनाए रखें, ताकि उनके हर कार्य सफलता पूर्वक पूरे हो सके।
जय हो माँ शेरों वाली की,
नवरात्रि के इस पावन अवसर पर सभी भक्तों को हमारी ओर से ढेर सारा प्यार।।
💨कईं लोगों द्वारा एक सवाल पूछा जाता है कि Navratri कैसे मनाई जाती है और इस अवसर पर भक्तों द्वारा क्या-क्या किया जाता है?, तो अब हम उसी सवाल का जवाब जानते हैं।
Navratri कैसे मनाई जाती है ?
नवरात्री भारत में हिन्दू भक्तों के द्वारा श्रध्दा और भक्ति के साथ मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्यौहार है जो नौ दिनों तक मनाया जाता है तथा इसमें नौ दिनों तक माँ दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है जैसे -
1. पहला दिन - शैलपुत्री
2. दूसरा दिन - ब्रह्मचारिणी
3. तीसरा दिन - चन्द्रघण्टा
4. चौथा दिन - कूष्माण्डा
5. पाँचवा दिन - स्कंदमाता
6. छठा दिन - कात्यायनी
7. सातवा दिन - कालरात्रि
8. आठवां दिन - महागौरी
9. नौवाँ दिन - नवदुर्गा
नवरात्री के दिनों में भक्तों द्वारा भजन, कीर्तन व डांडिया आदि का कार्यक्रम रखा जाता है तथा बहुत सी जगह पर तो इन दिनों में रामलीला का भी आयोजन किया जाता है। नवरात्री के अवसर पर भक्तों द्वारा मंदिरों में व उनके घरों में माँ दुर्गा की मूर्ति की स्थापना की जाती है तथा व्रत रखकर नौ दिनों तक माँ की पूजा व आराधना पूरी श्रध्दा और विश्वास के साथ की जाती है। इन दिनों भोग लगाने के लिए भक्तों द्वारा सात्विक भोजन, व्रत का खाना, फल, दूध, मक्खन, आदि माँ को भेट किये जाते हैं। संध्याकाल के समय भक्तों द्वारा माँ की आरती की जाती है व लोगों के लिए भंडारे आदि का भी आयोजन किया जाता है तथा रात्रि के समय भजन आदि कार्यक्रम किये जाते हैं, अष्टमी और नवमी तिथि पर भक्तों द्वारा कईं देवी-देवताओं की पूजा की जाती है तथा नवमी के दिन सभी भक्तों द्वारा माँ दुर्गा की विशेष पूजा कर उनकी मूर्ति को गंगा जी में विसर्जित किया जाता है तथा अंत में दशवे दिन रावण दहन किया जाता है।