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Village लव पर एक प्यारी सी कविता

इस Blog में दी गयी कविता Village लव पर एक प्यारी सी कविता के माध्यम से कवि हमें गाँव की एक सुन्दर सी प्रेम कथा के बारे में दर्शाना चाहते हैं कि किस तरह गाँव का एक युवक ( केसरा ) और युवती ( कमली ) बचपन में साथ खेलते हैं और फिर किस तरह से दोनों एक दूसरे से अलग हो जाते हैं तथा युवावस्था के आते हीं किस तरह से उन दोनों में प्रेम हो जाता है। आज के इस Blog को पढ़ने में आपको बढ़ा ही आनंद आयेगा, तो आइये इस प्रेम रुपी भावनाओं से जुड़ी सुन्दर सी कविता को पढ़ना शुरू करते हैं। 

बड़ का पान की गाड़ी बंणांता,

        कमली केसरो रैहता लार। 

धसूळा सूं केसरो गार खोदतो,

        कमली भरती गाड़ी म गार।  

कदी खेलता वे बड़ा हेत सूं,

        कदी करता एक दूजा प वार। 


अर्थ : कवि इन पंक्तियों के माध्यम से कमली और केसरा नामक युवक और युवती की बचपन की कहानी को बताते हुए कहते हैं कि कमली और केसरा दोनों ही बचपन में बरगद के पत्ते की गाड़ी बनाकर के खलते, और हमेशा दोनों साथ में रहते। कभी भी दोनों एक-दूसरे का साथ नहीं छोड़ते। 

बचपन के समय में केसरा तो फावड़े से गार खोदता, और कमली उस गार को बेल गाड़ी में भरने का काम करती थी। 

तीसरी पंक्ति में कवि कहते हैं कि कभी-कभी तो बचपन में कमली और केसरा दोनों ही बड़े प्यार से साथ में खेला करते थे, और कभी-कभी तो दोनों के बीच किसी बात को लेकर झगड़ा भी हो जाया था। जिसके चलते कुछ समय तक दोनों आपस में बात भी नहीं किया करते थे। 

मंदरसा म जाबा लाग्या जद,

        भंणती टेम बैठता दोन्यूं लार। 

केसरो पढ़बा ग्यो सैहर म,

        कमली संभाल्यो घर को काज। 

घर वाळां न पढाई छुड़ाई,

        छूटग्यो कमली केसरा को साथ। 


अर्थ : कवि बताते हैं कि जब भी कमली और केसरा मंदिर में जाते थे तो दोनों साथ जाया करते थे, तथा खाना खाते समय भी दोनों साथ में बैठकर खाया करते थे। जो की उनके बीच की गहरी मित्रता को दर्शाता है। 

इसके बाद कवि दोनों के बिछड़ने की दास्तान के बारे में बताते हुए कहते हैं कि जब केसरा 15 वर्ष का हो जाता है तो उसे उसकी आगे की पढ़ाई के लिए शहर भेज दिया जाता है, जिसके चलते कमली गाँव में अकेली रह जाती है और फिर वह अकेली ही घर का सारा काम संभाला करती थी। 

और फिर कुछ समय बाद कमली के घर वालों ने उसकी पढ़ाई भी छुड़वा दी, जिसके कारण वह बहुत गुमशुम सी रहने लग गयी थी क्योंकि एक तो उसके जीवन में से उसके सबसे अच्छे मित्र केसरा का साथ छूटा और उसके कुछ समय बाद उसकी पढ़ाई भी छूट गयी। 

केसरो भी कमली न भूल्यो,

        कमली अब रैहबा लागी उदास। 

बगत न बेगो ई खायो पल्टो,

        कमली केसरो होग्या मोट्यार। 

भंण पढ़र केसरो फाचौ आयो,

        कमली भी न्हाळ री ऊंकी बाट। 


अर्थ : शहर जाने के कुछ समय बाद केसरा, कमली को भूल जाता है, जिसके कारण कमली ओर भी अधिक उदास रहने लग जाती है। 

कुछ समय पश्चात् जल्द ही समय परिवर्तित हो जाता है, और कमली व केसरा दोनों युवावस्था में आ जाते हैं अर्थात दोनों ही जवान हो जाते हैं। 

और कुछ वर्ष पश्चात् केसरा अपनी पढ़ाई पूरी करके अपने गाँव वापस आ जाता है, कमली भी कईं वर्षों से केसरा के आने का इंतजार कर रही होती है तो केसरा के आते ही वह बहुत खुश हो जाती है। 

Village लव पर एक प्यारी सी कविता
Village लव पर एक प्यारी सी कविता 

रूपां सूं भी बत्ती लागे रूपाळी,

        हर कोई छावे लेवे नजर उतार। 

बाळपणां का संगेती फैर मल्या,

        मलतांईं होगी आंख्यां च्यार। 

बड़ा हेत सूं सैहर सूं लायो अंगूठी,

        कमली न आंगळी म ली वाळ। 


अर्थ : युवावस्था अर्थात जवानी में आते हीं दोनों बहुत अधिक सुन्दर व संस्कारी हो जाते हैं, जिसके चलते जो भी उन्हें देखता वह देखता ही रह जाता था और बहुत से उनके अपने तो उनकी नजर उतारने में भी लग जाते थे। 

तब दूसरी पंक्ति में कवि कहते हैं कि युवावस्था के आते ही बचपन के दो बिछड़े हुए गहरे ( पक्के ) मित्र फिर से आपस में एक-दूसरे के सामने आ जाते हैं, और सामने आते हीं दोनों एक-दूसरे को निहारने ( देखने ) लग जाते हैं। 

जवानी में दोनों के बीच आपस में गहरा प्रेम हो जाता है और फिर दोनों एक-दूसरे से विवाह करने का निश्चय कर लेते हैं तब केसरा सगाई हेतु बड़े ही प्यार से कमली के लिए शहर से एक अँगूठी खरीदकर लाता है, और उसे कमली की ऊँगली में पहना देता है। 

बार बार निरखे प्रेम की निसाणीं,

         अंगूठी देखतांईं करे प्रेमी न याद। 

जींने दी अंगूठी फैरबा की आंगळी,

         वूं दातार न कमली दियो बिसार ।।


अर्थ : अँगूठी पहनाने के बाद से ही कमली बार-बार अपने प्रेमी केसरा द्वारा दी गयी निसानी ( अँगूठी ) को देखती, और उस अँगूठी को देख देखकर अपने प्रेमी को याद किया करती थी। 

अंतिम पंक्ति में कवि कहते हैं कि सगाई के बाद से ही कमली, केसरा के प्यार में इस कदर से अंधी हो जाती है कि फिर जिस भगवान ने उसे अँगूठी पहनने के लिए ऊँगली दी है उस दातार ( भगवान ) को कमली, केसरा के प्यार के चलते भूल जाती है। जिसके कारण उसे बाद में कईं तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। 

👀  Bad Ka Paan Ki Gaadi Banata,

          Kamli Kesro Raihata Laar . 

Dhasoola Soo Kesro Gaar Khodto,

          Kamli Bharti Gaadi Me Gaar . 

Kadi Khelta Ve Bada Het Soo,

          Kadi Karta Ek Dooja Pe Waar . 

Mandarsa Me Jaaba Laagya Jad,

          Banti Tem Baithta Donyu Laar . 

Kesro Padhba Gyo Saihar Me,

          Kamli Sambhalyo Ghar Ko Kaaj . 

Ghar Wala Ne Padhai Chhudai,

          Chhootgyo Kamli Kesra Ko Saath . 

Kesro Bhi Kamli Ne Bhoolyo,

          Kamli Ab Raihaba Laagi Udas . 

Bagat Ne Bego Ee Khayo Palto,

          Kamli Kesro Hogya Motyar . 

Bhan Padhar Kesro Faachou Aayo,

          Kamli Bhi Nhaal Ree Oonki Baat . 

Roopa Soo Bhi Batti Laage Roopali,

          Har Koi Chhave Leve Najar Utaar . 

Baalpana Ka Sangeti Fair Malya,

          Maltaee Hogi Aankhya Chyar . 

Bada Het Soo Saihar Soo Laayo Angoothi,

          Kamli Ne Aangli Me Li Waal . 

Bar Bar Nirkhe Premi Ki Nisani,

          Angoothi Dekhtaeen Kare Premi Ne Yaad . 

Jeene Di Angoothi Fairba Ki Aangli,

          Woon Datar Ne Kamli Diyo Bisaar ..


☝ हमें आशा है कि आपको ऊपर दी गयी प्रेम रुपी कविता को पढ़कर के बहुत आनन्द आया होगा। अतः इस कविता से यही निष्कर्ष निकलता है कि हमें अपने प्रेमी या प्रेमिका से अत्यधिक प्यार करना चाहिए परन्तु उस प्यार में इस कदर से भी अँधा नहीं होना चाहिए कि फिर हमें उसके अलावा कुछ दिखाई ही ना दे तथा जिस परमात्मा ने हमें जनम दिया है उस परमात्मा को कभी भी नहीं भूलना चाहिए। ☝    

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