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Corona poem in hindi|कोरोना पर कविता या सुन्दर सा गीत

इस कविता Corona poem in hindi|कोरोना पर कविता या सुन्दर सा गीत के माध्यम से कवि हमें पूरे संसार में फैली कोरोना महामारी की भयंकर त्रासदी के बारे में बताना चाहते हैं। वह हमें बताना चाहते हैं कि इस महामारी ने लोगों को किस-किस तरह से परेशान किया तथा इसका डर लोगों को किस कदर से सताता है।  


रेलां रोकी मोटरां रोकी,

          रोक्या हवाई जहाज। 

ठाकुर जी भी मंदरां म,

          भगतां बगर लाचार। 

कोरोणों जमदूत बंण्यों,

          मनख्यां को काळ।  


अर्थ : इन पंक्तियों के द्वारा कवि हमें कोरोना महामारी की शक्ति के बारे में बताते हुए कहते हैं कि सन् 2019 से शुरू हुई कोरोना महामारी इतनी शक्तिशाली है कि उसने लगभग दुनिया के सभी देशों की ट्रेनें तथा वाहनों आदि को रोक दिया है, इस बिमारी ने तो हवाई जहाजों को भी अपनी उड़ान भरने से रोक दिया है। 

इस महामारी ने तो भगवान को भी मंदिरों में बन्द करके रख दिया है, और भगवान को न चाहते हुए भी भक्तों से दूर रहना पड़ रहा है। 

तब कोरोना महामारी के भयंकर प्रकोप को देखते हुए कवि कहते हैं कि अब कोरोना यमदूत ( यमराज ) की तरह बन गया है, और अब वह यमदूत की तरह इन्सानों के प्राण लेने लग गया है। 

बाळकां की खाई पढ़ाई,

          कोयां की मां जाई। 

कोयां को बाप लीलग्यो,

         कोयां की खाई माई। 

लोग बाग इलाज न तरस्या,

         कोरोणां न जमाई धाक। 


अर्थ : इस महामारी के चलते देश की सरकार ने सभी स्कूल व कॉलेजों को बन्द करवा दिया जिसके कारण बच्चों को शिक्षा भी नहीं मिल सकी, इस महामारी में किसी की माँ गर्भवती हुयी। तो किसी के पिता जी का निधन ( मृत्यु ) हो गया, और किसी-किसी की तो माँ भी इस बिमारी के कारण चल बसी। तब कवि कहते हैं कि इस बिमारी ने अपनी ऐसी धाक ( दहशत ) जमाई है, कि सभी लोग इसके इलाज के लिए तरसनें लगे परन्तु किसी को भी इसका इलाज नहीं मिल सका। 

Corona poem in hindi
Corona poem in hindi


सरकार का हाथ पग फूल्या,

          करबो छारी ऊंचा हाथ। 

मनख अस्पताल जाबा म धूजे,

          जातां कोरोणों भरे बाथ। 

मेळा खेळा सारा खाग्यो,

         खाग्यो बेरी बार त्यौहार। 


अर्थ : यह महामारी इतनी खतरनाक है कि सभी देशों की सरकारें भी इससे डरने लगी है, और किसी भी तरह का कोई भी फैसला लेने से पहले कईं बार सोंच में पढ़ने लगी है। 

इस बिमारी के चलते व्यक्ति अस्पतालों में जाने से भी डरने लगे हैं, क्योंकि उन्हें मन ही मन यह डर सताता रहता है कि यदि वह किसी कारण से अस्पताल गये तो वहाँ पर वह कोरोना महामारी के सम्पर्क में आ जायेंगे। 

तब अन्तिम पंक्तियों में कवि कहते हैं कि इस बिमारी ने व्यक्तियों को तथा देश की सरकारों को इस तरह से जकड़ा है कि इसके चलते देश में होने वाले सारे मेलों को ही बन्द करवाना पड़ा, और इस बिमारी ने तो त्यौहारों को  भी सार्वजनिक रूप से मनाने में रोक लगा दी है। 

लोगां की रोजी रोटी खाई,

          बेरोजगार कर्या मोट्यार। 

लोगां का मन म डर भर्यो,

         छीन्यों जीबा को अधिकार। 

छोरा छोरी रैहग्या कंवारा,

         न ढंग सूं अन्तिम संस्कार। 


अर्थ : कवि कहते हैं कि इस महामारी के चलते बाजार में मन्दी होने के कारण आधे से ज्यादा व्यक्तियों को उनकी नौकरी से निकाल दिया गया, और इस बिमारी ने तो देश के युवा वर्ग को भी बेरोजगार बना कर के रख दिया। 

सभी लोगों के मन में  बिमारी का डर इस कदर से बैठ गया कि वह, जीना ही भूल गये। ना तो वह कहीं आ-जा सकते हैं और ना ही किसी के साथ बैठकर दो घड़ी बात कर सकते हैं। 

इस बिमारी के चलते देश की सरकारों ने बढ़े स्तर पर होने वाली शादियों पर भी रोक लगा दी जिसके कारण आधे से ज्यादा युवा तो कुँवारे ही रहा गये, किसी ने भी यह नहीं सोचा होगा कि इस बिमारी का प्रकोप इतना भयंकर होगा कि यह तो ढंग से किसी के अन्तिम संस्कार में शामिल होने का अवसर भी हमसे छीन लेगी। 

श्राद्ध पक्ष खड़र्यो आलूणों,

         बेबस होर्या सारा जजमान। 

कस्यां करावे ब्राह्मण भोज,

         सब न डर फार्यो शैतान। 

कागला नाळा भाव खार्या,

         जम क होर्या वांकै ठाठ। 

घर घर गास खड़र्या नतकै,

         सब न्हाळै छत प बाट ।।


अर्थ : कवि कहते हैं कि कोरोना महामारी के कारण बढ़े-बूढ़ों के श्राद्ध भी ऐसे ही निकल रहे हैं, क्योंकि सभी व्यक्ति इस बिमारी के चलते बेबस ( जो कुछ न कर सके ) से हो गये हैं वह चाहकर भी कुछ भी नहीं कर पा रहे हैं। 

यह महामारी लोगों को इस कदर से डरा रही है कि लोग ब्राह्मण को भोजन तक नहीं करवा पा रहे हैं। 

इस महामारी के दौर में कौए अलग से भाव खाने में लगे हुए हैं और खूब आराम की जिन्दगी जीने का आनन्द लेने में लगे हुए हैं। 
इस बीमारी के चलते लगभग देश के हर क्षेत्रों में से रोजाना कोई ना कोई व्यक्ति कोरोना संक्रमित निकल रहा है, जिसके चलते लोगों ने बाहर सड़क पर निकलना छोड़ छतों पर ही इंतजार करना शुरू कर दिया है। 

👉  Rela Roki Motra Roki,

          Rokya Havai Jahaj .   

Thakur Ji Bhi Mandra Ma,

          Bhagta Bagar Lachar . 

Corono Jamdut Banyo,

          Mankhya Ko Kaal . 

Baalka Ki Khai Padhai,

         Koya Ki Maa Jaai . 

Koya Ko Baap Lilgyo,

         Koya Ki Khai Maai . 

Log Baag Ilaj Na Tarsya,

         Corona Na Jamai Dhaak . 

Sarkar Ka Hath Pag Foolya,

         Karbo Chhari Uncha Hath . 

Manakh Aspatal Jaaba Me Dhooje,

         Jaata Ee Corono Bhare Baath . 

Mela Khela Saara Khaagyo,

         Khagyo Beri Baar Tyohar . 

Logan Ki Roji Roti Khai,

         Berojgar Karya Motyar . 

Logan Ka Man Me Dar Bharyo,

         Chhinyo Jeeba Ko Adhikar . 

Chhora Chhori Raihagya Kanwara, 

         Na Dhang Soon Antim Sanskar . 

Shraddh Pax Khadryo Aaloono,

         Bebas Horya Saara Jajman . 

Kasya Karawe Brahaman Bhoj,

         Sab Ne Dar Faryo Shaitan . 

Kagla Naala Bhav Khaarya,

         Jam K Horya Vaakai Thaath . 

Ghar Ghar Gaas Khadrya Natkai,

         Sab Nhalai Chhat Pe Baat ... 👈        

हमें आशा है कि आपको ऊपर दी गयी कविता को पढ़कर अच्छा लगा होगा और आपको पता चल गया होगा कि यह कितनी खतरनाक बीमारी है अतः इससे जितना बचकर रहा जा सके उतना ही हमारे और हमारे परिवार के लिए अच्छा है।                      

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