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Good person quality par kavita in hindi|अच्छे व्यक्ति के गुणों पर हिंदी कविता

इस Post में दी गयी कविता Good person quality par kavita in hindi|अच्छे व्यक्ति के गुणों पर हिंदी कविता के माध्यम से कवि एक अच्छे और स्वाभिमानी व्यक्ति के व्यक्तित्व के बारे में बताना चाहते हैं कि एक सच्चे व सज्जन व्यक्ति में किस-किस तरह के गुण होते हैं और साथ ही इस कविता में कवि ने हमारे अन्दर छिपे बुरे इंसान के व्यक्तित्व के बारे में भी दर्शाया है कि यदि हम अपने अंदर की बुराइयों को नहीं मिटा पाते तो किस तरह से हम बुरे कर्म करते जाते हैं और अपने जीवन में पाप रुपी घड़े को भरते जाते हैं। 


काम भले ही बढ़ जाये,

           पर घट न पाये मान। 

स्वाभिमान पर चोट पड़े,

           जीना हो जाये हराम। 

प्रोत्साहन से मिले ऊर्जा,

           सुगमता से निपटे काम। 


अर्थ : कवि इन पंक्तियों के माध्यम से एक सच्चे व ईमानदार इंसान की अच्छाइयों के बारे में बताते हुए कहते हैं कि एक सज्जन पुरुष के लिए उसका स्वाभिमान ( इज्जत ) ही सब कुछ होता है उसका कोई कार्य भले ही बढ़ जाये इस बात की वह परवाह नहीं करता, परन्तु वह यह कभी नहीं चाहता की किसी कार्य को लेकर कोई उसके स्वाभिमान पर ऊँगली उठाये। 

यदि स्वाभिमानी ( इज्जतदार ) व्यक्ति के स्वाभिमान ( इज्जत ) पर कोई आँच भी आ जाती है, तो वह व्यक्ति शान्ति से नहीं बैठ पाता। फिर उसका जीना हराम हो जाता है। 

ऐसे व्यक्ति को यदि कोई प्रोत्साहित ( Motivate ) करता है तो उसे उससे एक प्रकार की ऊर्जा ( ताकत ) सी मिलती है, और फिर उसे पाकर के वह हर प्रकार के कार्य को बिना किसी रूकावट या बाधा के ही पूर्ण कर लेता है। 

प्रताड़ना हतोत्साहित करे,

           प्रताड़ना से बिगड़े काम। 

न स्वाभाव न संस्कार रखें,

           क्यों करायें कड़वा पान। 

कम बोलें और मीठा बोलें,

           ऐसा कहते सन्त सुजान। 


अर्थ : यदि सच्चे व स्वाभिमानी व्यक्ति को किसी कार्य को लेकर के कोई टोक देता है या उससे उस कार्य हेतु कोई व्यक्ति अपशब्द रूपी कड़वी बातें कह देता है तो उससे वह स्वाभिमानी व्यक्ति हतोत्साहित ( निराश या Demotivate ) हो जाता है, फिर उसका उस कार्य में मन नहीं लगता और वह कार्य उससे बिगड़ने लगता है। 

कवि दूसरी पंक्ति के द्वारा कहते हैं कि यदि किसी व्यक्ति के संस्कार तथा स्वभाव ही अच्छा नहीं होता, तो फिर ऐसा व्यक्ति बोलकर भी दुसरे व्यक्तियों की नजरों में बुरा बनता है। 

सन्त, साधु व ज्ञानी लोग कहते हैं कि हमें कम बोलना चाहिए पर मीठा या मधुर बोलना चाहिए। व्यर्थ में ही कड़वे वचनों को बोलने से समाज में हमारा ही मान घटता है। 

सार्थक तर्कों से हो समीक्षा,

           कुतर्कों से क्यों भरें स्थान। 

जियँ और जीनें दें सबको,

           बनें हम सब नेक इन्सान। 

रोते हुए को हँसाना सीखें,

           क्यों तड़पे किसी के प्राण। 


अर्थ : कवि का मनना है कि हर व्यक्ति का जीवन उद्येश्यपूर्ण गुणों वाला होना चाहिए और उसे उसी के द्वारा किये गये कर्मों से पहचाना जाना चाहिए, कभी भी इंसान को अपने जीवन को बुरे कर्मों तथा बुरे वचनों से नहीं भरना चाहिए। 

कवि का तथा महापुरुषों का यही मानना है कि हम स्वयं भी जीवन जीते रहें और दूसरों को भी जीने दे, तथा हम सभी को अपने जीवन में एक अच्छा इन्सान बनकर जीना चाहिए कभी भी ना तो किसी का बुरा सोचना चाहिए और ना ही बुरा करना चाहिए। 

एक अच्छे व्यक्ति की यही पहचान होती है कि वह जीवन में हमेशा मुस्कुराता रहता है और रोतो हुए व्यक्ति को भी हँसा देता है, किसी भी व्यक्ति को किसी दूसरे व्यक्ति को कभी भी सताना नहीं चाहिए। 

Good person quality
Good person quality

अच्छा तो नहीं कर पाते हम,

           खींचते असहायों के कान। 

पाप की गठरी कर लेते भारी,

           नितांत झूँठ के छूटते बांण। 

पुण्य कर्मों की खेती उजड़ती,

           पाप गठरी के बढ़ते दाम। 


अर्थ : कवि इन पंक्तियों के द्वारा हमारे अन्दर छुपी बुराइयों व बुरे इंसान के बारे में बताते हुए कहते हैं कि हम अपने जीवन में कुछ अच्छा कार्य तो नहीं कर पाते, और फोकट बैठे-बैठे असहाय या लाचार लोगों को परेशान करने में लगे रहते हैं। 

यदि हम अपने अन्दर छिपी बुराइयों पर काबू नहीं कर पाते तो हम लगातार बुरे कर्म करते ही जाते हैं और अपने जीवन में पाप की गठरी को भरने में अपना योगदान देने में लग जाते हैं, तथा हर प्रकार के कार्य के लिए हम पूर्ण रूप से झूठ पर आश्रित ( निर्भर ) होने लग जाते हैं। 

फिर ऐसे में जो हमनें अपने जीवन में थोड़े बहुत पुण्य कर्म किये थे वह भी नष्ट होने लग जाते हैं, और हमारी पाप रुपी गठरी भरती ही चली जाती है। 

मन ही मन खूब सराहते रहते,

           बन जाते भोले भाले नादान। 

अपने आप को देते हैं धोखा,

           मक्कारी पर करते खूब गुमान। 

क्या इसी को जीवन कहते हैं,

           क्या इसी का नाम है इन्सान ।।


अर्थ : कवि कहते हैं कि हम किसी अन्य व्यक्ति को दुःखी करके मन ही मन खूब प्रसन्न होते रहते हैं, और उस व्यक्ति को पता ना चले कि उसके जीवन में जो दुःखों का पहाड़ आया है उसके जिम्मेदार सिर्फ हम है इसके लिए हम सीधे-सीधे इंसान बनकर घूमते रहते हैं और मन ही मन खूद को बढ़ा होशियार समझने लग जाते हैं। 

ऐसे में हम स्वयं को ही धोखे में रखते हैं कि हमने बढ़ा होशियारी वाला काम किया है, और हम अपने द्वारा किये गये धोखेबाजी या छल से भरे कार्यों पर बहुत घमंड करने लग जाते हैं। 

फिर अन्तिम पंक्तियों में ऐसे कर्मों से परेशान होकर के कवि कहते हैं कि क्या इसी तरह से धोखेबाजी करके जीवन जीना चाहिए, और क्या ऐसे कर्म करने के लिए ही इंसान का जन्म हुआ है। 

💨 Kaam Bhale Hi Badh Jaaye,

            Par Ghat Na Paye Maan . 

Swabhiman Par Chot Pade,

            Jeena Ho Jaye Haram . 

Protsahan Se Mile Urja,

            Sugamta Se Bigde Kaam . 

Pratadna Hatotsahit Kare,

            Pratadna Se Bigde Kaam . 

Na Swabhav Na Sanskar Rakhe,

            Kyon Karaye Kadva Paan . 

Kam Bole Aur Meetha Bole,

            Esa Kahte Sant Sujan . 

Sarthak Tarkon Se Ho Sameexa,

            Kutarko Se Kyon Bhare Sthan . 

Jiye Aur Jine De Sabko,

            Bane Hum Sab Nek Insan . 

Rote Hue Ko Hasana Sikhe,

            Kyon Tadpe Kisi Ke Praan . 

Achchha To Nahi Kar Paate Hum,

            Khichte Asahayo Ke Kaan . 

Pap Ki Gathri Kar Lete Bhaari,

            Nitant Jhooth Ke Chhootte Baan . 

Punya Karmo Ki Kheti Ujadti,

            Pap Gathri Ke Badhte Daam . 

Man Hi Man Khoob Sarahte Rahte,

            Ban Jate Bhole Bhale Nadan . 

Apne Aap Ko Dete Hain Dhokha,

            Makkari Par Karte Khoob Guman . 

Kya Isi Ko Jeevan Kahte Hain,

            Kya Isi Ka Naam Hai Insan . . 


हमें आशा है कि आप सभी को ऊपर दी गयी कविता Good person qualities par kavita in hindi|अच्छे व्यक्ति के गुणों पर हिंदी कविता को पढ़कर के अच्छा लगा होगा। हमें इस कविता से यह सीख मिलती है कि हमें अपने जीवन में एक अच्छा व सज्जन व्यक्ति बनकर जीना चाहिए तथा अपने जीवन में कभी भी अपने अंदर की छिपी बुराइयों को नहीं अपनाना चाहिए तथा असहाय व्यक्तियों को परेशान करने के बजाय उनकी मदद करनी चाहिए। 

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