कवि इस कविता People bad habits poem in hindi|लोगों की बिगड़ती हुई बुरी आदतों पर एक कविता के माध्यम से बिगड़ी संतान के कर्मों के बारे में वर्णन करना चाहते हैं कि जब बच्चे बुरी संगति में पड़कर बिगड़ने की राह पर निकल पड़ते हैं, तो फिर उनके माता-पिता का क्या हाल होता है।
-: आगी बाळौ असी औलाद :-
नुगरा मल नंदरा करे,
सांच झूंठ की भरे बाथ।
दूजां का घर ये बिगाड़े,
जद आवे छाती म सास।
सरग फाड़ पाताळ करे,
कसी बात की यांकै लाज।
अर्थ : कवि इन पंक्तियों के माध्यम से हमें बताना चाहते हैं कि जब माता-पिता की संतान बिगड़ने लगती है तो वह किस प्रकार के कार्य करने लगती है जिससे उनकी और उनके परिवार दोनों की इज्जत मिट्टी में मिल जाती है। कवि कहते हैं कि यदि संतान ही उनकी इज्जत को डूबो दे, तो ऐसी औलाद से तो बिना औलाद के होना ही अच्छा है।
जब बच्चे बिगड़ने लगते हैं तब वह किसी भी व्यक्ति की नीन्दा ( बुराई ) करना शुरू कर देते हैं चाहे फिर वह व्यक्ति उनका अपना ही क्यों न हो, तथा वह किसी भी बात को लेकर सच व झूठ का सहारा लेने लग जाते हैं।
ऐसे बच्चे किसी काम के नहीं होते यह खुद तो बिगड़े हुए रहते ही है साथ ही दूसरे व्यक्तियों का घर बिगाड़ने में भी यह लगे रहते हैं, और जब यह दुसरों का घर बिगाड़ने में सफल हो जाते हैं तब जाकर के इन्हें शान्ति मिलती है।
बिगड़े हुए बच्चे अच्छा या बुरा हर तरह के कार्य करते रहते हैं फिर वह यह भी नहीं सोचते की बुरे कार्यों को करने पर लोग उनसे क्या कहेंगे, क्योंकि उनके अंदर तो किसी भी बात को लेकर कोई शर्म बची ही नहीं। अर्थात अब वह बेशर्म हो गये हैं।
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People bad habits |
फरी फोकट का माल चरे,
गैले चालता हत्या म गास।
नकटाई को फैहरे पजामो,
नतकै उड़ावे मामा भात।
चापलूसी को पैबंद लगावे,
यांकौ हुंकार्या दे पूरा साथ।
अर्थ : कवि कहते कि जब बच्चे बिगड़े हुए होते हैं तब वह उनके माता-पिता द्वारा दिये गये सारे पैसों को व्यर्थ के कामों में ही उड़ा देते हैं फिर उनके पास खाना खाने के लिए भी पैसे नहीं बचते तो वह किसी भी व्यक्ति की शादी समारोह या अन्य कार्यक्रम में बिना निमंत्रण के ही जाकर खाना खाकर आ जाते हैं फिर वह यह भी नहीं सोचते की वहाँ यदि उन्हें किसी पहचान के व्यक्ति ने देख लिया या वह पकड़े गये तो इस कार्य से उनकी कितनी बेइज्जती होगी, जब बच्चे अत्यधिक बिगड़ जाते हैं तब वह किसी व्यक्ति की हत्या करने जैसे संघीन जुर्म से भी नहीं कतराते हैं।
बिगड़े हुए बच्चे रोजाना जबरदस्ती ही व्यक्तियों के कपड़े मांग-मांग कर पहनना शुरू कर देते हैं तब उन्हें रोजाना व्यक्तियों से कपड़े मांगने में भी शर्म नहीं आती, और ऐसे बच्चे प्रतिदिन इसी फिराक में रहते हैं कि आज खाने या किसी अन्य कार्य हेतु किस व्यक्ति के चूना लगाया जाये।
ऐसे बच्चे व्यर्थ ही किसी की चापलूसी ( झूठी प्रशंसा ) करने में लग जाते हैं, जिसके चलते बाद में वह व्यक्ति भी इन बिगड़े हुए बच्चों का साथ देने में लग जाते हैं।
आळस को ओढ़े ओढ़णों,
पड़्या पड़्या तोड़े खाट।
घर घर रोजीना रोता फरे,
दुदकार तांईं दे दे टाप।
फाकाकसी म काटे जमारो,
कदर कायदा सूं मोहताज।
मां बापां का नाम डुबोदे यह,
आगी बाळौ असी औलाद ।।
अर्थ : कवि कहते हैं कि यदि शुरू से ही बच्चों को अच्छे संस्कार नहीं दिये गये तो वह बिगड़ने की रह पर चलने लगते हैं और दिन प्रतिदिन वह आलसी होते जाते हैं, तथा पूरे दिन भर पलंग पर सोकर अपना समय बेकार करते रहते हैं।
ऐसे बच्चे रोजाना ही बिना काम के किसी के भी घरों में आते जाते रहते हैं, और यदि उन्हें ऐसा करने से कोई मना करता है तो वह उन्हें भी बहाना बनाकर इधर-उधर घूमने के लिए निकल जाते हैं।
ऐसे बच्चों की बुरे कार्य करते-करते ही पूरी उम्र निकल जाती है, उनके पूरे जीवन में कभी भी कोई भी उन्हें सम्मान ( इज्जत ) नहीं देता और बुरे वक्त में भी ऐसे बच्चों का कोई साथ नहीं देता।
ऐसे बिगड़े हुए बच्चे खुद तो कभी अच्छा काम नहीं करते और जो इज्जत समाज में उनके माता-पिता ने कमाई थी वह उसे भी डूबो देते हैं, तब ऐसे बच्चों से परेशान होकर कवि कहते हैं कि माता-पिता के ऐसे बच्चों के होने से तो उनका बे औलाद होना ही बेहतर है।
👉 Aagi Baalou Asi Aulad 👈
Nugra Mal Nandra Kare,
Sach Jhooth Ki Bhare Baath .
Dooja Ka Ghar Ye Bigade,
Jad Aave Chhati Ma Saas .
Sarag Faad Patal Kare,
Kasi Baat Ki Yaankai Laaj .
Fari Fokut Ka Maal Chare,
Gaile Chaalta Hatya Ma Gaas .
Naktaii Ko Faihre Pajamo,
Natkai Udave Mama Bhaat .
Chaploosi Ko Paiband Lagave,
Yankou Hukarya De Pooro Sath .
Aalas Ko Odhe Odhno,
Padya Padya Tode Khaat .
Ghar Ghar Rojeena Rota Fare,
Dudkaar Ta Een De De Taap .
Fakakasi Ma Kate Jamaro,
Kadar Kayda Soo Mohtaz .
Maa Bapa Ka Naam Dubaade Yeh,
Aagi Baalou Asi Aulad .
हमें आशा है कि आप सभी को ऊपर दी गयी कविता के माध्यम से पता चल गया होगा कि हमें बचपन से ही बच्चों को अच्छे संस्कार देना कितना आवश्यक है। यदि बच्चे किसी कारणवश बिगड़ने की राह पर निकल पड़े तो बाद में उनके माता-पिता को कितना पछताना पड़ सकता है। जिसके चलते बिगड़े हुए बच्चों के साथ-साथ समाज उनके माता-पिता की भी इज्जत नहीं करता और फिर ऐसे बच्चों के माता-पिता किसी को मुँह दिखाने लायक नहीं रहते।