आज इस Blog Post में दी गयी कविता Soldiers के बलिदान पर एक कविता|A poem on the sacrifice of soldiers in hindi के माध्यम से कवि हमें सैनिकों से जुड़ी उसके परिवार की व्यथा के बारे में बताना चाहते हैं कि किस तरह से एक सैनिक के साथ उसके परिवार की समस्त भावनाएँ व इच्छाएँ जुड़ी होती है तथा जब वह सैनिक उसके परिवार से दूर चला जाता है या फिर किसी जंग में वह शहीद हो जाता है तो फिर उसके परिवार की क्या दशा होती है। यह सभी बातें आपको इस कविता के द्वारा जानने को मिलेंगी, तो आइये इस Blog को पढ़ना शुरू करते हैं।
बापू रोवे बूढापा की लाठी,
तोड़ग्यो थू म्हारौ गुरुर।
खांदो देतो म्हारी अरथी न,
थू सेवा कर तो भरपूर।
सेजां सूंनी करग्या साजन,
सुहागण्यां रोवे सिंदूर।
अर्थ : कवि इन पंक्तियों के माध्यम से एक सैनिक के परिवार की उस समय की व्यथा के बारे में बताना चाहते हैं जब उनका बेटा किसी युद्ध में शहीद हो जाता है। तब सैनिक के पिताजी उनके बेटे की मृत्यु पर रोते हुए कहते हैं कि बेटे तू तो मेरे बूढ़ापे की लाठी ( सहारा ) था, अब तू ही मुझे छोड़कर चला गया तो फिर मैं भी जी कर क्या करूँगा तथा उसके पिताजी कहते हैं कि अरे बेटा तू तो मेरा गुरुर ( अहंकार ) हुआ करता था और अब तेरे चले जाने के कारण मेरा गुरुर भी टूट गया।
अपने बेटे के मृत शरीर पर सैनिक के पिताजी रोते हुए कहते हैं कि अरे बेटा अभी तो तूझे मेरी अरथी को कन्धा देना था, और बूढ़ापे में मेरी भरपूर ( पूर्ण रूप से ) सेवा करनी थी। अभी तेरी हमें छोड़कर जाने की उम्र थोड़ी ही ना थी।
तीसरी पंक्ति में कवि सैनिक की पत्नी के दुःख की व्यथा को बताते हुए कहते हैं कि जब उनका पति ( सैनिक ) युद्ध में शहीद हो जाता है तो उनकी सुहागन पत्नियाँ अपने पति के मृत शरीर पर रो-रो कर अपने सिंदूर को पौंछ देती हैं, और कहती हैं कि उनका पति तो अब उनके घर या सेज रूपी पलंग को सूना ( अकेला ) छोड़कर के कहीं दूर चला गया है।
बीच मझदार बपता आई,
ब्याज न छौड़ग्या मूळ।
मायड़ रोवे ऊंकी ममता न,
म्हंनैं कर्यो कांईं कसूर।
क्यूं बिलखती छोड़ग्यो बेटा,
कस्यो निभायो दस्तूर।
अर्थ : कवि बताते हैं कि सैनिक के शहीद होने के बाद उसका परिवार अधूरा सा हो जाता है और उनके बेटे के शहीद हो जाने के बाद उनके परिवार की इस कदर से दशा हो जाती है जैसे मानो कि उन पर कोई संकटों का पहाड़ आ गिरा हो, और यदि सैनिक अपने पीछे अपनी संतान को छोड़कर चला जाता है तो फिर उनकी संतान को भी बिना बाप के ही अपना जीवन जीना पड़ता है।
दूसरी पंक्ति द्वारा कवि बताते हैं कि बेटे के छोड़कर चले जाने के बाद उसकी माँ भी अपनी ममता रूपी भावनाओं को व्यक्त करते हुए अपने बेटे की याद में खूब रोती है, और कहती है कि बेटा मैंने ऐसा क्या कसूर कर डाला जो तू मुझे इस तरह से अकेली छोड़कर के चला गया।
और वह कहती हैं कि बेटा तू मुझे रोती हुयी छोड़कर के क्यों चला गया, यह तूने कैसा साथ निभाया। अर्थात तूने हमसे जीवन भर साथ रहने का वादा किया था फिर तू तो हमें अकेला रोता हुआ छोड़कर के भगवान के पास चला गया।
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Soldiers के बलिदान पर एक कविता |
फचाटां खार रोवे मां जायो,
भाई को खमळायो नूर।
अंणबोल्यो ई चल्यो गयो र,
थू करग्यो म्हांनैं मजबूर।
बैहन रोवे भाई की कळाई,
सपनां होया चकनाचूर।
अर्थ : सैनिक के चले जाने पर उसका भाई भी उसके मृत शरीर पर जोर-जोर से रोने लगता है, और कहता है कि अब मेरे भाई के चले जाने के कारण उसके साथ ही हमारे घर की शोभा या प्रकाश भी चला गया है।
और उसका पूरा परिवार कहने लगता है कि अरे तू तो बिना बोले ही चला गया, तूने हमें ऐसा भी क्या मजबूर किया कि हम अंतिम बार तुझ से बात भी नहीं कर सकते।
तब सैनिक की बहन भी उसकी कलाई को पकड़कर के रोने लगती है, और कहने लगती है कि अब तो हमारे सारे सपने चकनाचूर हो गये हैं क्योंकि जिस भाई के लिए हमने सपने देखे थे वह भाई ही अब जीवित नहीं रहा तो फिर ऐसे में मैं उन सपनो को पूरा करके भी क्या करुँगी।
खींके बांधूंगी अब महूं राखी,
बीराजी ग्या घणां दूर।
खूंका लाड लड़ावगी भावज,
देवरजी सोचता जरूर।
सहादत की सुंण गैहली होई,
रोबा सूं आंख्यां गी सूज।
अर्थ : आगे सैनिक की बहन कहती है कि अब मैं किसकी कलाई पर राखी बाँधूंगी, क्योंकि अब मेरा भाई तो मुझे छोड़कर के बहुत दूर जा चूका है।
तब सैनिक की भाभी कहती है कि अब मैं किसके इतने लाड लड़ाऊँगी अर्थात अब मैं किसे इतना प्यार दूँगी, अगर देवरजी जीवित होते तो यह बात जरूर सोंचते।
तीसरी पंक्ति द्वारा कवि बताते है कि जब सैनिक का परिवार उनके बेटे की युद्ध में शहीद होने की बात सुनता है तो वह किस तरह से बौखला जाता है। अर्थात रो-रो कर पागलों जैसी हरकतें करने लग जाता है, और रो-रो कर के अपनी आँखे सूझा लेते हैं।
बावळी बातां मत करो थै सब,
रब न अरजी करि मंजूर।
मातृभूमि क लेखे छोड़्या सब,
जींसूं आयो थां सबसूं दूर।
मायड़ भलांईं रैह जाजे निपुति,
जंणैं तो जंणजै अस्या सूर।
खुल्ली छाती लड़्या धड़ाका सूं,
दुसमण न चटाग्या धूळ ।।
अर्थ : तब सैनिक के पिताजी अपने दिल पर पत्थर रखकर अपने पूरे परिवार से कहते हैं कि तुम सभी पागलों जैसी फालतू की बातें मत करो, हमारे बेटे को तो भगवान ने मंजूरी देकर के अपने पास बुलाया है। इसलिए वह हमें छोड़कर के भगवान के पास गया है फिर इस बात पर रोना कैसा।
और उसके पिताजी कहते हैं कि हमारे बेटे ने अपनी मातृभूमि के लिए हम सभी को और इस पूरी दुनिया को छोड़ा है, जिसके लिए वह हम सभी से इतना दूर गया था।
तीसरी पंक्ति में कवि उन सभी माताओं से जो अपनी संतान को जन्म देती हैं कहते हैं कि एक माँ भले ही बिना संतान के रह जाये यह बात पूरे संसार को मंजूर है, परन्तु यदि उसका बेटा या बेटी देश के विरुद्ध कोई कार्य करे। यह बात संसार में किसी को भी मंजूर नहीं है और कवि कहते हैं कि दुनिया में हर माँ को एक ऐसी संतान को जन्म देना चाहिए जो देश का तथा उसके माता-पिता का सर गर्व से ऊँचा कर दे।
शहीद सैनिकों के पिताजी कहते हैं कि हमें तो शोक मानाने के बजाय इस बात की खुशी मनानी चाहिए कि हमारे बेटे तो खुल्ली छाती तानकर के जोश के साथ दुश्मनों से लड़े हैं, और उन्होंने दुश्मनों को खूब धूल चटायी है।
👀 Baapu Rove Budhapa Ki Laathi,
Todgyo Thoo Mharo Gurur .
Khaando Deto Mhari Arthi Ne,
Thoo Seva Kar To Bharpur .
Seja Sooni Kargya Saajan,
Suhagnyaa Rove Sindhur .
Beech Majhdhar Bapta Aayi,
Byaj Na Chhoudgya Mool .
Mayad Rove Oonki Mamta Ne,
Mhanai karyo Kaai Kasoor .
Kyun Bilakhti Chhodgyo Beta,
Kasyo Nibhayo Dastoor .
Fachaata Khaar Rove Maa Jaayo,
Bhai Ko Khamlaayo Noor .
Anbolyo Ee Chalyo Gayo Re,
Thoo Kargyo Mhanai Majboor .
Baihan Rove Bhai Ki Kalai,
Sapna Hoya Chaknachoor .
Kheenke Baandhungi Ab Mhoo Raakhi,
Beeraji Gya Ghana Door .
Khoonka Laad Ladavgi Bhaavaj,
Devarji Sochta Jarur .
Sahadat Ki Sun Gaihali Hoyi,
Roba Soo Aankhya Gee Sooj .
Baavli Baataa Mat Karo Thai Sab,
Rab Ne Arji Kari Manjur .
Matrabhumi Ke Lekhe Chhodya Sab,
Jeesoo Aayo tha Sabsoo Door .
Mayad Bhalai Raih Jaaje Niputi,
Janai To Janjai Asyaa Soor .
Khulli Chhati Ladya Dhadaka Soo,
Dusman Ne Chatagya Dhool ..
☝ हमें आशा है कि आपको ऊपर दी गयी कविता को पढ़कर के अच्छा लगा होगा। अतः इस कविता से यही निष्कर्ष निकलता है कि हमें सैनकों के शहीद होने पर रोने के बजाय उन्हें खुशी-खुशी विदाई देनी चाहिए तथा संतान को जन्म देने वाली माँ को अपनी संतान को ऐसे अच्छे संस्कार देने चाहिए कि जिससे फिर उसके बेटे या बेटी अपने देश का तथा अपने परिवार का नाम रोशन कर सके। ☝