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Mutual fund क्या है और इसमें कैसे निवेश करें

👉आप सभी ने Mutual Fund के काफी add देखें होंगे और इसके बारे में लोगों से सुना भी काफी होगा। उन adds में कहा जाता है कि Mutual Funds सही है लेकिन फिर भी लोग इसमें निवेश करने से घबराते हैं और कहते हैं कि यह Share Market से जुड़ा हुआ है और share market एक जुए की तरह है जिसमें पैसे डूबते हैं लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है इसके माध्यम से हम share market के अलावा gold, property तथा कईं तरह की policies में निवेश कर सकते हैं। 

यदि हम म्यूच्यूअल फण्ड में लम्बी समय अवधि के लिए निवेश करते हैं तो हमें अच्छा return मिलता है और हमारे लगाए गए पैसों के डूबने का chance भी ना के बराबर हो जाता है। इसलिए हम इस blog post में जानेंगे कि यह हमारे लिए किस तरह उपयोगी है और क्यों हमें इसमें निवेश करना चाहिए। 👈  

1.   Mutual Fund क्या है | What is Mutual Fund

हम सभी अपने जीवन में अधिक से अधिक पैसे कमाना चाहते हैं इसलिए हम चाहते हैं कि जो पैसे हमने इकट्ठे किये हैं उन्हें किसी ऐसी जगह पर लगाया जाये जहाँ से हमें High return मिल सके और हमारे इकठ्ठा किये हुए पैसों में वृद्धि होती रहे। इसलिए लोग अलग-अलग जगह पर अपने पैसे निवेश करते हैं जैसे - Fix Deposit ( F.D ), Property, Gold ( सोने के आभूषण या अन्य वस्तुएँ बनाकर ) परन्तु इन सभी में हमें highest return नहीं मिल पाता। अतः अधिक return पाने ले लिए लोग अपने पैसों को mutual fund में लगाते हैं जहाँ पर वह यदि लम्बे समय तक निवेश करते हैं तो उन्हें 20-25% तक रिटर्न मिल पाता है। 

अब हम शेयर बाजार में निवेश करने के तीन तरीकों के बारे में जानेंगे -

( a ). पहला तरीका होता है कि हम खुद Research करें कि कौनसा shares हमारे लिए अच्छा है और कौनसा बुरा है तथा इस तरीके द्वारा हमें खुद ही अच्छे shares का चयन करके खुद ही को उनमें पैसे निवेश करने पड़ते हैं। इस तरीके का फायदा यह है कि इससे हमें किसी दूसरे व्यक्ति पर निर्भर नहीं होना पड़ता और न ही उसे कोई अतिरिक्त शुल्क ( fees ) देनी पड़ती। 

इस तरीके के कुछ नुकसान भी होते हैं और वह यह हैं कि हमें अच्छे शेयर ढूँढने में काफी समय लगता है और सभी को अच्छे शेयर कैसे ढूँढना है उसकी जानकारी भी नहीं होती तथा यदि वह व्यक्ति जानकारी लेना भी चाहे तो इन सभी चीजों में काफी वक्त बेकार हो जाता है। 

( b ). दूसरा तरीका यह होता है कि हम किसी Research analyst या किसी expert की मदद ले लें। इसका फायदा यह है कि इस तरीके में हमें अच्छे शेयर ढूँढने में अपना समय नहीं देना पड़ता। फिर हम expert पर निर्भर हो सकते हैं। 

इस तरीके के नुकसान यह हैं कि इसमें रोजाना transaction हमें ही करने पड़ते हैं इस तरीके में expert केवल हमें यह बता सकता है कि हमें कौनसे शेयर खरीदने हैं और कौनसे नहीं। इस कार्य के बदले में एक्सपर्ट हम से fees लेता है लेकिन शेयर को खरीदने-बेचने ( transaction ) का कार्य हमें ही करना पड़ता है। 

( c ). तीसरा तरीका म्यूच्यूअल फण्ड द्वारा है इसके जरिये हम शेयर बाजार या अन्य किसी जगह पर पैसा लगाते हैं जिसमें हमें ना तो Regularly transaction करना पड़ता है। इसमें हमें शेयर बाजार की अच्छी जानकारी हो यह भी आवश्यक नहीं है, इसमें सारा काम एक expert advisor करता है और उसकी फीस भी काफी कम होती है। हमें केवल एक अच्छा फण्ड select करना है बाकि सारा कार्य एक्सपर्ट ही संभालता है।   

सबसे पहले हम यह जानेंगे कि Mutual fund kya hai in hindi ? बहुत से लोगों का मानना है कि म्यूच्यूअल फण्ड सिर्फ Share market में पैसे निवेश करने का एक तरीका है लेकिन ऐसा नहीं है म्यूच्यूअल फण्ड से हम चाहें तो gold में निवेश कर सकते हैं, Real State में निवेश कर सकते हैं, Debt fund में निवेश कर सकते हैं या इससे हम Share बाजार या equity में भी निवेश कर सकते हैं। 

आसान भाषा में समझे तो म्यूच्यूअल फण्ड एक तरीका है जिसके माध्यम से हम share market में पैसे invest करते हैं ताकि हमें अपने लगाए गए पैसे पर अच्छा return मिल सके। इसमें हमें शेयर बाजार की अच्छी knowledge होना आवश्यक नहीं है क्योंकि इसमें सभी कार्य experts की देख रेख में होता है जिन्हें शेयर बाजार की अच्छी knowledge होती है और लोगों के पैसे को कौनसी जगह पर इन्वेस्ट किया जाये ताकि उन्हें अच्छा return मिल सके यह उनको अच्छी तरह से आता है। इसके बदले में वह लोगों से उनके profit पर कुछ प्रतिशत कमीशन/शुल्क लेते हैं, यह फीस काफी कम होती है। 

म्यूच्यूअल फण्ड में हम केवल 500 रुपये से invest करना शुरू कर सकते हैं म्यूच्यूअल फण्ड हमारे पैसों को अलग-अलग कम्पनियों के शेयर खरीदने में इन्वेस्ट करता है ताकि यदि कोई कम्पनी किसी कारणवश डूब जाती है या घाटे में चली जाती है तब भी हमें अत्यधिक नुकसान नहीं होता है क्योंकि हमारे सारे पैसे उस कम्पनी में नहीं लगे होते हैं। इसे हम एक उदहारण के रूप में समझते हैं -

उदा. यदि हम 2000 रुपये म्यूच्यूअल फंड में निवेश करने के बारे में सोचते हैं तो म्यूच्यूअल फण्ड expert उन 2000 रुपयों को अलग-अलग अच्छी कम्पनियों के के शेयर खरीदने में इंवेस्ट करता है ताकि यदि उनमें से कोई कंपनी नुकसान में भी चली जाती है तो हमें अधिक नुकसान नहीं होता क्योंकि किसी दूसरी कंपनी का performance अच्छा होने पर हमें भी अच्छा फायदा होता है क्योंकि हमारे पैसे भी उसमें लगे होते हैं जिससे हमारा loss भी recover हो जाता है और अंत में हमें फायदा ही होता है। 

Mutual fund को हम एक और तरीके से समझते हैं मान लें कि हमें 10,000 रुपये share market में invest करने हैं तो हम किसी advisor के पास जाते हैं और वह हमसे कहता है कि आप MRF या CEAT कम्पनी का शेयर ले लो। तो वह एक शेयर ही 10,000 रुपये से अधिक का होता है और हमें तो total निवेश ही 10,000 रुपये करने है तो ऐसी स्तिथि में हम उस share को नहीं खरीद पायेंगे। यह एक समस्या है direct invest करने या किसी advisor के द्वारा पैसे इन्वेस्ट करने में। 

जबकि म्यूच्यूअल फंड के अंदर ऐसा नहीं होता है यह सभी लोगों के पैसों से मिलकर बना एक फण्ड होता है। इसके अंदर मान लो कि हम 500 रुपये लगते हैं, कोई अन्य व्यक्ति 500 रुपये लगाता है और ऐसे 100 व्यक्ति 500-500 रुपये लगाते हैं ऐसे में म्युचुअल फंड के पास 50,000 रुपये इकट्ठे हो जाते हैं तो अब वह MRF company के 2 shares ( 1 share 25,000 का हो तब ) खरीद सकता है। 

लेकिन shares दो हैं investors 100 है तो उस पैसे को लोगों में बाँटने के लिए म्यूचुअल फंड उन companies के shares खरीदता है और लोगों को उसके बदले में वह म्यूचुअल फंड की unit दे देता है। यानी कि मान लें कि 25-25,000 रुपये के दो शेयर्स ख़रीदे गये तो total 50,000 रुपये invest किये गये और 100 लोगों ने उसमें पैसा लगाया है तो म्यूचुअल फंड हमें 500-500 रुपये की एक-एक unit दे देता है ताकि वह सभी 100 लोग मिलकर उन दो shares के co-holder बन सके। 


Mutual Fund क्या है
Mutual fund क्या है

इस blog में हम इन topics पर चर्चा करेंगे - 

  1. What is Mutual Funds in hindi 
  2. Mutual fund history in india  
  3. Types of Mutual fund 
  4. Mutual fund advantage and disadvantage 
  5. How to select best Mutual fund 
  6. How to invest in Mutual fund 
  7. Mutual fund calculator/SIP Calculator  

2. Mutual fund History in India | भारत में म्यूच्यूअल फण्ड का इतिहास 

India में भारतीय रिजर्व बैंक ( R.B.I ) और भारत सरकार ( Indian Government ) की माँग पर भारत में Unit Trust of India ( U.T.I ) के गठन के साथ भारत में 1963 में Mutual fund शुरू हुआ था। इसका मुख्य उद्द्येश्य छोटे निवेशकों ( Small investors ) को आकर्षित करना तथा उन्हें निवेश व बाजार से सम्बन्धित विषयों से उन्हें अवगत कराना और उनके निवेश किये गए पैसों पर लोगों को अधिक return दिलवाना था। 

Unit Trust of India ( U.T.I ) का गठन संसद के एक अधिनियम के तहत 1963 में किया गया था, इसकी स्थापना Reserve Bank of India द्वारा की गयी थी। सबसे पहले U.T.I ने R.B.I के अंदर काम किया फिर सन 1978 में U.T.I को R.B.I से अलग कर दिया गया। भारतीय औध्योगिक विकास बैंक ( I.D.B.I ) को R.B.I के स्थान पर Regulatory और Administrative control ( प्रशाशनिक नियंत्रण ) का अधिकार मिला इसके बाद U.T.I ने इसके अन्तर्गत काम करना शुरू किया। इसके बाद भारत में mutual fund को अलग-अलग चरणों में बाँट दिया गया जो निम्न हैं -

पहला चरण ( First Phase )  

पहले केवल U.T.I ही भारत में पहला म्यूच्यूअल फंड था। U.T.I को छोटे और साथ ही बढ़े निवेशकों को देश की वृद्धि में भाग लेने के लिए दोनों की पेशकश करनी थी। इस कारण इस चरण का गठन हुआ, यह चरण 1964 से 1987 तक चला। इस चरण में U.T.I के पास 6,700 Crore ( करोड़ ) रुपये तक का फण्ड इकट्ठा हुआ। 

दूसरा चरण ( Second Phase )

यह चरण 1987 से 1993 तक चला। इस चरण में Public Sector Fund ( सार्वजनिक क्षेत्र कोष ) को जोड़ा गया। तथा इसी चरण के कारण बहुत सारे बैंकों को अपना खुदका म्यूचुअल फंड बनाने का मौका मिला। इसमें SBI ( State Bank of India ) ने अपना पहला Non U.T.I mutual fund बनाया। 

यह चरण 1993 तक चला लेकिन इस चरण के खत्म होते-होते A.U.M/Assets Under Management ( प्रबन्धन के तहत परिसम्पत्तियाँ ) ने 47,004 करोड़ रुपये तक इकट्ठे कर लिए जो कि 6,700 करोड़ रुपयों के 7 गुना से भी अधिक था। 

तीसरा चरण ( Third Phase )

यह चरण 1993 से 2003 तक चला। इस चरण में Private Sector Fund ( निजी क्षेत्र कोष ) को जोड़ा गया, इस चरण में investors को म्यूचुअल फंड में निवेश करने के ज्यादा विकल्प मिले। इस चरण में जनवरी 2003 के अंत में 1,21,805 करोड़ रुपये के प्रबंधन के तहत कूल सम्पत्ति के साथ 33 म्यूचुअल फ़ण्ड थे। इस प्रबंधन में 44,541 करोड़ रुपये की संपत्ति वाला U.T.I अन्य सभी म्यूचुअल फ़ण्ड से आगे था। 

चौथा चरण ( Fourth Phase )   

चौथा चरण फरवरी 2003 में शुरू हुआ और यह अभी तक चल रहा है। 2003 में U.T.I को दो अलग-अलग चरणों में बाँटा गया -

( a ). Specified Undertaking U.T.I ( निर्दिष्ट उपक्रम UTI ) - इसमें A.U.M के पास जनवरी 2003 के अंत तक 29,835 करोड़ रुपये का धन इकट्ठा हो गया। 

( b ). UTI Mutual Fund - यह S.B.I, P.N.B, L.I.C के नियमों के अंदर कार्य करते थे। 

फिर 2009 में आर्थिक मंदी आयी जिसका असर पूरी दुनिया पर पड़ा जिसके चलते निवेशकों को काफी नुकसान झेलना पड़ा। आर्थिक मंदी के चलते लोगों का म्यूचुअल फ़ण्ड पर से उत्साह कुछ हद तक कम हो गया। परन्तु धीरे-धीरे समय के साथ यह फिर से सही हो गया और आज लाखों लोग इसमें पैसे लगते हैं और अच्छा फायदा पाते हैं। 

3. Types of Mutual Fund | म्यूच्यूअल फण्ड के प्रकार    

वैसे तो म्युचुअल फ़ण्ड कईं तरह के होते हैं परन्तु हम इस blog में मुख्य चार प्रकार के बारे में चर्चा करेंगे जिनसे मिलकर के बाकी के म्युचुअल फ़ण्ड बने होते हैं और इन चारों में लोग ज्यादातर पैसा इन्वेस्ट करना पसंद करते हैं -

( A ). Equity Fund or Growth Fund 

( B ). Debt Fund 

( C ). Balanced or Hybrid Funds 

( D ). Money Market Funds 

( A ). Equity Fund or Growth Fund  

इस फ़ंड के अंदर ज्यादा risk होने के साथ-साथ ज्यादा return भी मिलता है। इसके अन्दर stocks ( किसी भी कम्पनी के शेयर्स ) में निवेस किया जाता है इसलिए यदि market में किसी कंपनी के शेयर्स में वृद्धि होती है तो हमें अच्छा रिटर्न मिलता है और यदि मन्दी होती है तो हमें Low रिटर्न मिलता है। 

यदि कोई व्यक्ति लम्बी समय अवधि के लिए इस फ़ंड में invest करता है तो उसे रिटर्न भी अधिक मिलता है। यदि हम 1-2 वर्ष के लिए इसमें investment करते हैं तो यह हमें बढ़िया रिटर्न नहीं दे पाते। हमारे इंवेस्ट किये गये paise का 65% हिस्सा इस तरह के funds में लगा होता है जो कि market condition पर निर्भर करता है। 

Equity Fund के अन्दर Large Cap, Mid Cap और Small Cap Funds आते हैं -

Large Cap  

इसमें उन बढ़ी-बढ़ी कम्पनियों में paisa लगाया जाता है जिन पर शेयर बाज़ार के उतार-चढाव का ज्यादा असर नहीं पड़ता। इसलिये इसमें risk कम होता है परंतु रिटर्न भी हमें कम ही मिलता है। 

Mid Cap 

इसमें वो कम्पनियाँ आती है जो बढ़ी बनने वाली हैं, इसमें रिस्क अधिक होता है तथा रिटर्न भी अधिक मिलता है। 

Small Cap    

इसमें वो कम्पनियाँ आती हैं जो छोटी है और हो सकता है कि वह Companies किसी भी समय डूब जाये। इसमें रिस्क अधिक होता है तो ऐसे में यदि हमने इसमें investment किया और किसी कारणवश वह कंपनी डूब गयी तो ऐसी स्तिथि में हमारा सारा paisa डूब सकता है। 

( B ). Debt Fund 

इस फण्ड के अंदर Low Risk है और इसमें return प्रतिशत भी low रहता है। जो व्यक्ति high risk नहीं लेना चाहते वह Debt Fund के अंदर invest कर सकते हैं। इसमें कम और ज्यादा दोनों तरह की समय अवधी के लिए investment किया जाता है लेकिन ज्यादातर लोग इसमें कम समय अवधी के लिए इन्वेस्ट करते हैं। इसके अन्तर्गत Government Bonds, Corporate Bonds और Fixed Deposit आदि में इन्वेस्ट किया जाता है।  

( C ). Balanced or Hybrid Funds   

यह Equity or Debt दोनों से मिलकर बना होता है इस कारण से इसे Balanced fund कहा जाता है। इसमें Equity or Debt दोनों को मिलाकर जो रिटर्न आता है वो मिलता है और रिस्क भी दोनों के बीच का होता है। यह फ़ंड मुख्य रूप से उन लोगों के लिये बनाया गया है जो ना तो ज्यादा जोखिम ले सकते हैं और ना ही कम रिटर्न से संतुष्ट हैं। 

यह कम तथा अधिक दोनों प्रकार की समयावधी के लिये उपलब्ध है। Balanced fund उन लोगों के लिए एक बढ़िया फन्ड है जो Debt से अधिक रिटर्न पाना चाहते हैं। इसमें कुछ प्रतिशत हिस्सा Debt के अन्दर और कुछ प्रतिशत हिस्सा Equity के अन्दर इन्वेस्ट किया जाता है। 

( D ). Money Market Fund    

इस तरह के फन्ड के अंदर भी Low रिस्क होता है जो लोग कम जोखिम लेना चाहते हैं और कम Returns के साथ ही संतुष्ट हैं यह उन लोगों के लिए है। मुख्यतः कम समयावधी के लिए इसमें investment किया जाता है। इसके अन्तर्गत Treasury bills, Commercial paper और Certificate of deposit आदि में इन्वेस्ट किया जाता है।

4. Mutual Funds Advantage and Disadvantage | म्यूच्यूअल फण्ड के फायदे और नुकसान   

Advantage ( फायदे ) :- 

1. थोड़े paise इन्वेस्ट करने पर ज्यादा फायदे। मान लें कि यदि हम 2000 या 4000 रुपये इन्वेस्ट करना चाहते हैं तो हम ज्यादा Shares नहीं खरीद पायेंगे। लेकिन यदि म्युचुअल फन्ड में बहुत से लोगों का paisa इकट्ठा होकर बहुत सी Companies में लगा होता है तो हो सकता है कि हमारे 2000 रुपये भी 50 companies में लगे हों जिससे किसी ना किसी कंपनी के बढ़िया performance करने पर हमें automatically लाभ होगा। 

2. इसमें एक expert advisor होता है जो हमारे पैसोँ को मैनेज करने का कार्य करता है ताकि हमें अधिक से अधिक रीटर्न मिल सके और उसकी फीस भी काफी कम होती है। 

3. यदि हमने एक बार पेसे इंवेस्ट कर दिए तो फिर म्युचअल फन्ड स्वयं ही उस पैसे से शेयर्स खरीदता-बेचता रहता है फिर हमें बार-बार transaction करने की भी जरुरत नहीं पड़ती। 

4.आपने S.I.P के बारे में तो सुना होगा। एक बार आप बैंक में निर्धारित कर दें कि हर महीने बैंक से 1000-2000 जितने पैसे आप Scheme में लगाना चाहें उतने bank account से अपने आप कटते रहें और उस Scheme में लगते रहें। तो फिर एक बार हमने SIP सेट कर दी तो फिर अपने आप account से paise कटते रहते हैं और हम जब चाहें तब SIP रोककर पैसे निकाल सकते हैं वो भी ब्याज के साथ। 

Disadvantage ( नुकसान ) :-   

1. बहुत सारे म्यूच्यूअल फन्ड ऐसे होते हैं जो चाहते हैं कि उनकी scheme में ज्यादा से ज्यादा लोग पैसा लगाएं तो इसके लिए वह बहुत ज्यादा marketing करते हैं और बहुत सारे advisor बैठाते हैं क्योंकि जितने अधिक लोग पेसे इंवेस्ट करेंगे उतना ही उनको फायदा होगा। performance बढ़िया है या नहीं इससे म्यूचअल फ़ंड को फरका नहीं पड़ता। वो तो लोगों द्वारा इंवेस्ट किये गए रुपयों पर 1-2% charge लेते हैं। 

हालाँकि म्युचअल फ़ंड experts की यही कोशिश रहती है कि लोगों के पेसे अच्छी से अच्छी जगह पर लगें और उन्हें अधिक रीटर्न मिले क्योंकि यदि लोगों को फायदा ही नहीं मिलेगा तो वह इसमें इन्वेस्टमेंट ही नहीं करेंगे।  

2. म्युचअल फ़न्ड Manager के हाथ में यह नहीं है कि वह कब पैसे शेयर्स में इंवेस्ट करें और कब निकाले। यदि हम उन्हें पैसे देंगे तो वह उसे इन्वेस्ट करेंगे और यदि हम उनसे बोलेंगे कि अब मुझे इसे Continue  नहीं करना तो Fund Manager को सस्ते दाम में हमारे force करने के कारण वह उन shares को सस्ते दाम में बेच देगा और कम दाम में शेयर्स बिकने के कारण हमें नुकसान ही होगा।  

इस स्तिथि में यदि मार्केट में crash आया हुआ होता है तो सारे शेयरों के दाम गिरे होते हैं और ऐसी स्तिथि में हम मैनेजर को शेयरों को बेचने के लिए कहेंगे तो हमें भारी नुकसान का भी सामना करना पड़ सकता है अतः हमें मार्केट अच्छा हो तभी शेयर्स को बेचना चाहिए। 

3. फंड्स का सारा Performance फ़न्ड Manager और Research team पर निर्भर करता है तो कईं बार वह research team अपनी job भी बचाना चाहती है और ऐसी stock नहीं खरीदती जो ज्यादा रिटर्न दे सके। लेकिन  risky भी बहुत है तो कईं बार ऐसी स्तिथि में research team अपनी job बचने के लिए किसी ऐसी stock में इन्वेस्टमेन्ट कर देते हैं जिनमें returns कम मिलते हैं जिसके फलस्वरूप हमें अधिक फायदा नहीं मिल पाता।     

4. यदि हम म्यूचुअल फ़न्ड में long term ( लम्बी समय अवधी ) के लिए इंवेस्टमेंट करते हैं तभी वह हमें अधिक रिटर्न्स दे पाता है और उसमें नुकसान होने के भी बहुत कम chance हैं।  

5. How to select Best Mutual Funds | सबसे अच्छे म्यूच्यूअल फण्ड का चयन कैसे करें    

कौनसा म्यूच्यूअल फ़न्ड हमारे लिए Best है यह हमारे ऊपर निर्भर करता है कि हम कितनी समय अवधी के लिये इन्वेस्ट करना चाहते हैं और हम कितना जोखिम के सकते हैं -

a). यदि हम केवल 1-3 वर्ष के लिये इंवेस्ट करना चाहते हैं तो उस स्तिथी में हमें Debt funds के अंदर इंवेस्ट करना चाहिये। Debt में भी हमको Small cap ( छोटी कम्पनियां ) और Mid cap ( Companies जो बड़ी बनने वाली है ) में बिल्कुल भी निवेष नहीं करना चाहिये। small cap और mid cap में केवल तभी निवेष करें जब हम 10 वर्ष या उससे अधिक समय के लिये निवेष कर रहे हों। 

b). यदि हम 3-5 वर्ष के लिये निवेष करना चाहते है तो उस परिस्तिथि में हम Hybrid के अन्दर निवेष कर सकते हैं। 

c). Experts Advisors का भी यही मानना होता है कि हमे Equity में तभी निवेस करना चाहिये जब हम 5 years  या इससे अधिक time के लिए निवेस कर रहे हों क्योंकि इस Situation में जोख़िम कम होता है। 

6. How to invest in Mutual Funds | म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश कैसे करें 

इस Topic में हम जानेंगे कि हम Mutual fund में कैसे निवेश करें-वैसे तो इसमें निवेस करने के कईं तरीके हैं जिनमें से कुछ तरीकों के बारे में आज हम चर्चा करेंगे। आप किसी म्यूच्यूअल फन्ड office में जाकर वहाँ के experts advisors की सलाह अनुसार इन्वेस्टमेन्ट कर सकते हैं परन्तु इस कार्य में आपको उस सलाहकार को fees भी देनी पड़ती है। 

कईं लोग Online Companies की Website पर जाकर या Mobile Application के द्वारा भी निवेस करते हैं जिसमें ना तो उन्हें किसी सलाहकार को कोई फीस देनी पड़ती क्योंकि यह Zero fees और Brokerage पर कार्य करता है, ना ही इसमें कोई hidden charges लगते हैं। इसके लिए दो App अधिक Popular हैं Zerodha और Grow इसमें से भी ग्रो ज्यादा popular है। हम इन दोनों की websites पर जाकर भी निवेस कर सकते हैं।  

Grow App को use करना बहुत आसान है इसमें हम 5 minute में एक Account open कर सकते हैं। इस App द्वारा invest करने पर ना तो हमे कोई brokerage देनी पड़ती है और ना ही किसी को कोई fees तथा इस App में किसी तरह के कोई hidden charges भी नहीं लगते। इस App द्वारा Stocks में भी निवेष किया जा सकता है। 


How to invest in mutual fund
How to invest in mutual fund


इस link पर click करके Grow App Download करें  Download Grow App 

Grow Website link www.Grow.in

Zerodha Website https://zerodha.com/


7. Mutual Fund Calculator or SIP Calculator 

आप अलग-अलग कम्पनियों की websites पर जाकर calculator section के calculator द्वारा पता कर सकते हैं कि कितने रुपए इंवेस्ट करने पर आपको कितने समय के बाद मिलने वाली रिटर्न प्रतिशत दर से कितने पैसे  मिलेंगे। यदि कोई व्यक्ति हर महीने SIP के द्वारा म्युचअल फ़ंड में निवेष करता है तो वह इस link पर click करके वह अपनी SIP calculate कर सकते हैं  .  Calculate Your SIP 

इसमें पहले Column में जितना amount आप इंवेस्ट करना चाहते हैं वह डालें, दूसरे column में आप जितने साल के लिये इंवेस्ट करना चाहते हैं वह डालें तथा तीसरे column में आपको कितने प्रतिशत तक रिटर्न मिलेगा वह डालकर calculate के बटन पर click करें। तो आपको पूरी summary प्राप्त हो जाएगी कि कितने साल में आपको कितने रुपये वापस मिलेंगे। 

कईं लोग इन म्यूच्यूअल फ़ंड में निवेष करना अधिक पसंद करते हैं क्योंकि इनमें जोख़िम कम होता है। इनमें से कुछ नाम है -  Sbi, HDFC, Reliance, Aditya birla, Axis, Kotak, ICICI, TATA, U.T.I   

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