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Corruption essay in hindi and poem|भ्रष्टाचार पर निबंध हिंदी में और कविता


What is Corruption|भ्रष्टाचार क्या है ?

यदि हम अपने जीवन में किसी कार्य को जल्द से जल्द पूरा करवाने के लिये किसी सरकारी या अन्य अधिकारी को उस कार्य में लगने वाले शुल्क के अतिरिक्त पैसे देते हैं तो वह रिश्वत कहलाता है और गैरकानूनी तरीके से रिश्वत लेना या देना भ्रष्टाचार कहलाता है। भ्रष्टाचार भ्रष्ट और आचार दो शब्दों से मिलकर बना होता है जिसमें भ्रष्ट का मतलब बेकार या बिगड़ा हुआ ( जो किसी योग्य ना हो ) तथा आचार का मतलब आचरण ( कार्य ) है। अर्थात भ्रष्टाचार का शाब्दिक अर्थ है वह कार्य या आचरण जो अनुचित या बेकार हो भ्रष्टाचार कहलाता है।


What is Corruption

What is Corruption


यदि कोई व्यक्ति नियमों के विरुद्ध जाकर अपने निजी कार्यों को करवाने के लिए किसी को कोई रिश्वत देता है तो वह व्यक्ति भ्रष्टाचारी कहलाता है। आज भ्रष्टाचार अन्य देशों में तथा सोने की चिड़िया कहे जाने वाले भारत देश में लगातार अपनी जड़े फैला रहा है जिसके कारण गरीब व्यक्तियों पर इसका अत्यधिक प्रभाव पड़ता है। 

आज के इस Blog में हम भ्रष्टाचार पर विचार करेंगे जिसे हम Corruption essay in hindi and poem|भ्रष्टाचार पर निबंध हिंदी में और कविता के माध्यम से समझ सकते हैं तो आइए हम अपना Blog Start करते हैं। 

रूपरेखा :-

  1. प्रस्तावना 
  2. भ्रष्टाचार के प्रकार 
  3. भ्रष्टाचार के कारण 
  4. भ्रष्टाचार का दुष्प्रभाव 
  5. भ्रष्टाचार रोकने के उपाय 
  6. उपसंहार 


1. प्रस्तावना 

वर्तमान में लगभग सभी देश भ्रष्टाचार की समस्या से पीड़ित है कोई भी देश इससे अछूता नहीं रहा है। हमारा देश भारत भी इसकी समस्या से अत्यधिक पीड़ित है और Corruption के मामले में 94 वे स्थान पर आता है। यह देश के हर वर्ग, हर क्षेत्र और हर स्तर में इस कदर बढ़ रहा है कि इसे पूरी तरह से खत्म करना लगभग असंभव सा हो गया है क्योंकि जिस देश के राजनेता ही भ्रष्टित हों तथा राजनीतिक व्यवस्था और देश की शासन प्रणाली में ऊपर के स्तर से नीचे के स्तर तक सभी अधिकारी भ्रष्टित हों, तो फिर देश से भ्रष्टाचार को खत्म करना असंभव है। 

समाज का हर व्यक्ति किसी ना किसी तरह से भ्रष्टाचार के संपर्क में आता जरूर है क्योंकि इसकी पहुँच इतनी अधिक हो गयी है कि कोई व्यक्ति चाहकर भी इससे नहीं बच पाता है, जीवन में कभी ना कभी तो वह इसके संपर्क में आ ही जाता है। 

2. भ्रष्टाचार के प्रकार

देश में भ्रष्टाचार कईं प्रकार से फैलता है इनमें से कुछ तरीके हैं - रिश्वत लेना व देना, काला बाजारी करना, जान बूझकर वस्तुओं के दाम बढ़ाना, सस्ता सामान लाकर महँगे दाम में बेचना, गरीब व्यक्तियों को उनके अधिकारों से वंचित रखना, सरकारी योजनाओं से गरीब व्यक्तियों को अवगत नहीं करवाना आदि सभी कार्य भ्रष्टाचार के अन्तर्गत आते हैं।         


3. भ्रष्टाचार के कारण      

वर्तमान में हमारे देश में भ्रष्टाचार अपने स्वार्थ को पूरा करने तथा अधिक से अधिक धन कमाने का एक तरीका बन गया है। आज देश के हर तरह के कार्यों में भ्रष्टाचार देखने को आसानी से मिल जाता है। भ्रष्टाचार फैलने के कईं कारण है जिनमें से कुछ कारण है -

1. देश का हर व्यक्ति हर तरह की भौतिक सुख-सुविधाओं को पाना चाहता है इसके लिए यदि कोई व्यक्ति उससे कोई गैर कानूनी कार्य ( रिश्वत ) भी करने के लिए कहे तो वह उसके लिए भी मना नहीं करता है क्योंकि उसे सिर्फ धन कमाने से मतलब है फिर वह किसी भी तरीके से आये इससे उस व्यक्ति को कोई फरका नहीं पड़ता। 

2. हमारे देश में भ्रष्टाचार की शुरुआत सर्वप्रथम राजनेताओं से होती है वह अपने घर भरने के लिए भ्रष्ट तरीकों को अपनाने लग जाते हैं, जिससे उनके नक्षे कदम पर चलकर शासन तंत्र के अधिकारी भी भ्रष्टाचार को अपनाने लग जाते हैं। 

3. सरकारी नौकरी करने वाले व्यक्तियों में भ्रष्टाचार अधिक देखने को मिलता है क्योंकि वह चाहता है कि उसे उसकी Monthly Income के अलावा Side Income भी हो अतः इसके लिए वह रिश्वत लेना प्रारंभ कर देता है। 

4. हमारे देश में भाई-भतीजावाद फैला हुआ है जिसके कारण प्रत्येक बढ़ा अधिकारी चाहता है कि किसी और की सरकारी नौकरी लगे या ना लगे परन्तु उसके परिवार के सदस्य की सरकारी नौकरी अवश्य लगनी चाहिए। इसके लिए वह जेक आदि लगाकर अपने परिवार के सदस्य को नौकरी लगाने की कोशिश में लग जाता है जिसके चलते योग्य तथा गरीब व्यक्तियों को तो सरकारी नौकरी पाने का अवसर नहीं मिल पाता। 


भ्रष्टाचार के कारण

भ्रष्टाचार के कारण


5. देश के अमीर लोग सम्पत्ति कर, आयकर, बिक्रीकर आदि से बचने के लिए गलत या गैर कानूनी कार्य करते हैं जिसके कारण भी देश में भ्रष्टाचार फैलता है। 

6. देश में अधिक जनसंख्या होने के कारण भी भ्रष्टाचार फैलता है क्योंकि हर व्यक्ति को जीने के लिए धन की आवश्यकता होती है और धन कमाने के लिए वह गैर कानूनी कार्यों का सहारा लेने लग जाता है जिसके कारण भ्रष्टाचार फैलता है। 

7. राजनीति में यदि कोई व्यक्ति चुनाव जीतने के लिए जनता को पैसे तथा शराब आदि बाटता है तो वह व्यक्ति भ्रष्टाचारी कहलाता है क्योंकि वह चुनाव जीतने के लिए जनता को लालच देता है जो कि एक गलत तरीका है।

8. कोर्ट में झूठी गवाही देना, झूठा मुकदमा चलाना तथा परीक्षा में नकल करवाना आदि कार्य भी भ्रष्टाचार के अंतर्गत आते हैं क्योंकि यह सभी तरीके गलत है जिसके कारण देश में भ्रष्टाचार फैलता है।   


4. भ्रष्टाचार का दुष्प्रभाव            

भ्रष्टाचार के कारण देश में राष्ट्रीय एकता तथा इंसानियत लगभग समाप्त सी हो गयी है, देश में बहुत कम ऐसे लोग मिलते हैं जिनमें ईमानदारी देखने को मिलती है। जब देश के राजनेता ही भ्रष्टाचार करने पर उतर आये तो देश की जनता फिर उनसे क्या सिख लेगी। राजनेता भ्रष्ट तरीके अपनाकर के जन सेवा के नाम पर अपने ही परिवार के सदस्यों का भला करने में लगे रहते हैं तथा हर कार्य को करने में दलाली, कमीशन, व रिश्वत लेकर जनता के सामने सच्चा व ईमानदार नेता बनने की कोशिश करते हैं। 

राजनेताओं द्वारा भ्रष्टाचार फैलाये जाने के कारण कईं सरकारी अधिकारी भी भ्रष्टाचार फैलाना शुरू कर देते हैं जिसका सीधा असर गरीब व्यक्तियों पर पड़ता है वह ना तो अपने अधिकारों को पा सकते हैं और ना ही पूर्ण रूप से किसी सरकारी नीति को। क्योंकि अधिकारीयों द्वारा सरकारी नीतियों को जनता तक पहुँचाने से पहले ही अधिकारीयों द्वारा मध्यम वर्गीय लोगों तक उस योजना को पहुँचा दिया जाता है ताकि वह उसका लाभ उठा सके। 
या रिश्वत लेकर उस योजना का लाभ उठाने का अवसर दे दिया जाता है जिससे अत्यन्त गरीब वर्ग उस योजना का लाभ नहीं उठा पाते क्योंकि उनके पास ना तो अधिकारीयों को देने के लिए पैसे होते हैं और ना ही योजना की पर्याप्त जानकारी। 


5. भ्रष्टाचार रोकने के उपाय       

भ्रष्टाचार को रोकने या इसके निवारण हेतु हमारे देश की सरकार ने भ्रष्टाचार उन्मूलन विभाग बना रखा है जहाँ पर यदि कोई व्यक्ति किसी तरीके से भ्रष्टाचार करता या इसे फैलाता है तो उसकी शिकायत कर सकते हैं तथा इस विभाग को पर्याप्त अधिकार भी दे रखे हैं जिससे बड़े से बड़े अधिकारी के खिलाफ यह विभाग कार्यवाही कर उस व्यक्ति को सजा दिला सकते हैं। देश की सरकार ने भ्रष्टाचार को रोकने के लिए समय-समय पर कईं तरह के कानून भी बनाए है तथा इसे अपराध मानकर कठोर से कठोर दण्ड देने की भी व्यवस्था कर रखी है परन्तु फिर भी लगातार देश में भ्रष्टाचार कम होने के बजाय बढ़ता ही चला जा रहा है। 

इसे रोकने के लिए राजनीति में ईमानदारी तथा जनता में जागरूकता का होना आवश्यक है। भ्रष्टाचार को रोकने के लिए राजनेताओं को स्वयं इससे दूर रहना चाहिए, भाई-भतीजावाद को रोका जाना चाहिए तथा व्यापारियों द्वारा पूर्ण कर चुकाया जाना चाहिए आदि कार्यों को अपनाकर के हम कुछ हद तक देश में से भ्रष्टाचार को कम कर सकते हैं। 

6. उपसंहार     

भारत जैसे विकासशील व प्रगतिशील लोकतंत्रात्मक शासन में भ्रष्टाचार का होना एक बहुत बड़ी विकट समस्या है जिससे देश में से इंसानियत व भाईचारे का नाश हो रहा है और राष्ट्रीय चरित्र पर कीचड़ उछाला जा रहा है। इसे रोकने के लिए देश के नेताओं को इसे ख़त्म करना होगा और उन्हें समझना होगा कि इसका हमारे देश की जनता पर  कितना बुरा असर पड़ता है। 

भ्रष्टाचार पर हिंदी कविता | Poem On Corruption in Hindi 

-: कद सभाळगा सुदर्शन धारी :-

जगत की रीत निराळी, 

                मक्कार लोग करे ऐस। 

आणंद की रमझोल उड़े,

               करे बेमतलब की बेस। 

चोरी अर सीना जोरी करे,

               बगर हाथ पांव की रेस। 


अर्थ : कवि कहते हैं कि है सुदर्शन चक्र धारी भ्रष्टाचार करने वाले लोग कब सुधरेंगे और भ्रष्टाचार करना तथा फैलाना कब बन्ध करेंगे। 

कवि कहते हैं कि इस संसार की रीत बहुत निराली ( अलग ) हैं, यहाँ मक्कार लोग ( जो किसी काम के ना हो ) तो ऐस करते हैं और जो व्यक्ति काबिल है वो बेरोजगार घूमते हैं। यहाँ भ्रष्टित लोगों के बीच आनंद और हर्षोल्लास की खुशियाँ छा जाती है तथा किसी भी बात को लेकर भ्रष्टित लोग ईमानदार लोगों से बेफिजूल की बहस कर अपना स्वार्थ सिद्ध करने में लग जाते हैं। भ्रष्टाचार करने वाला व्यक्ति एक तो चोरी करे ऊपर से खुद को बढ़िया ( ईमानदार ) बताकर सीना जोरी भी करे, यह तो बिना हाथ-पैरों के चलने वाली रेस के समान है।  

हत्या म गास भरे हुजूर्या,

              सज्जनता करे कळैस। 

कपटयां को साथ जगत द,

              बगर मांग्यां लगावे जेक। 

अन्याय की ढाळ कुंण बणें,

              बेबसां सूं सख्ती सूं पेस। 


अर्थ : कवि कहते हैं कि भ्रष्टित व्यक्ति तो किसी की हत्या करने जैसे पाप से भी नहीं कतराते हैं, जबकि सज्जन व्यक्ति से यदि छोटा-मोटा भी कोई पाप ( अपराध ) हो जाता है तो वह उसमें भी कलेस ( टेंसन ) करने लग जाते हैं। इस संसार में कपटी लोगों ( अपराध करने वाले व्यक्ति ) का सभी साथ देते हैं, और उनके बिना कहे ही दूसरे व्यक्ति उनका काम करने में लग जाते हैं। ऐसी परिस्थिति में इस संसार में अन्याय ( अपराध ) की ढाल कौन बने, यहाँ भ्रष्टाचार करने वाले व्यक्तियों का तो आदर-सम्मान किया जाता है और बेबस लोगों से सख्ती से ( कठोरता से ) पेस आया जाता है।

सज्जनता भापड़ी रुदन करे,

             आवे आफरो बंण जावे गेस। 

खीं क पास जार दुखड़ो रोवे,

             जींसूं ख वूई खींचे केस। 

सहन शीलता बड़ी कमजोरी,

             सगळा खाड़े मीन मेख। 


अर्थ : कवि इस पंक्तियों के माध्यम से कहते हैं कि संसार में भ्रष्टाचार इतना अधिक फैल गया है कि ऐसी परिस्थिति में सज्जनता ( ईमानदारी ) तो भ्रष्टाचार से आगे निकल ही नहीं पा रही, जिससे बेबस ( गरीब ) लोगों को रोना आ जाता है और वह दुःखी हो जाते हैं। 

ऐसे में बेबस लोग किसके पास जाकर अपने दुःख के बारे में कहे, जिससे भी जाकर कहे वही उनका केस बना दे क्योंकि भ्र्ष्टाचार के चलते वही व्यक्ति आगे बढ़कर कुछ कर सकता है जिसके पास पैसा है भ्रष्टाचार के कारण तो गरीब व्यक्तियों की रोने जैसी स्थिति उत्पन्न हो गयी है।

सहन करने की भी एक सीमा होती है यदि हम अत्यधिक सहनशील बन जाते हैं तो फिर वह हमारी कमजोरी बन जाती है, ऐसे में भ्रष्टित व्यक्ति हमारा फायदा उठाने में लग जाते हैं। 

कस्यां बचावे आबरू भापड़ा,

            विधाता का लिख्या लेख। 

दुर्योधनां को शकुनि साथ द,

            दान वीर कर्ण लगावे टेर। 

दुसासणां की बढ़ जावे शक्ति,

            लाज शरम हो जावे ढेर। 


अर्थ : कवि कहते हैं कि संसार में भ्रष्टाचार इतना अधिक बढ़ गया है कि इसके चलते गरीब व्यक्ति अपनी जान कैसे बचाए, भगवान द्वारा लिखे लेख के कारण उनका जन्म गरीब परिवार में हुआ है तथा यहां संसार के हर क्षेत्र में भ्रष्टाचार के फैले होने के कारण गरीब व्यक्ति अपने अधिकार पाने में अधिक सक्षम नहीं है। ऐसी परिस्थिति में भ्रष्टित या अपराधी व्यक्ति का तो अन्य व्यक्ति भी साथ देते हैं, और कुछ दानवीर कर्ण जैसे लोग भी भ्रष्टित व्यक्तियों के कार्यों को पूर्ण करने में उनके साथ लगे रहते हैं। ऐसे में अपराधी व्यक्तियों की शक्ति या ताकत ओर अधिक बढ़ जाती है, और लाज शर्म सब मिटने लग जाती है। 

आंधा मुखिया अन्याय करावे,

            सारी सभा आंख्यां द नटेर। 

असहाय विदुरजी अलाप करे,

            सन्नाटो छा जावे छारूं मेर। 

आबरू पड़गी आड़ी कळौटां,

            मनड़ा मांईं लागे भारी ठेस। 

कद संभाळगा सुदर्शन धारी,

            बाट न्हाळतां भीज्या नेत्र ।। 


अर्थ : कवि कहते हैं कि यदि मुखिया ( राजनेता / बड़ा अधिकारी ) ही अंधा होकर के जनता के ऊपर अन्याय करे तो, ऐसी स्थिति में सभी लोगों की आशाएँ नष्ट हो जाती है। भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने में कोई भी व्यक्ति किसी की सहायता नहीं करता, ऐसे में चारों तरफ सन्नाटा या चुप्पी सी छा जाती है। लोगों के बीच इंसानियत लगभग समाप्त सी हो गयी, जिससे असहाय लोगों ( जिसका कोई साथ ना दे ) के मन को भारी क्षति पहुँचती है। ऐसे में कवि कहते हैं कि लोग इसी उम्मीद में जीते रहते हैं कि सुदर्शन चक्र धारी इन भ्रष्टाचारी व्यक्तियों को कब सुधारेंगे।   

Poem On Corruption

Poem On Corruption

         
हमें आशा है कि आप इस भ्रष्टाचार पर निबंध हिंदी में और कविता|Corruption essay in hindi and poem के माध्यम से समझ गये होंगे की हमारे देश में भ्रष्टाचार कितनी ख़तरनाक बीमारी है और इसका देश की जनता पर कितना बुरा असर पड़ता है।  

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