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Job के समय पर एक सुन्दर सी कविता|A pretty Poem on Job time in hindi

कवि इस कविता Job के समय पर एक सुन्दर सी कविता|A pretty Poem on Job Duty time in hindi के माध्यम से जॉब पर जाने वाले हर व्यक्ति के जीवन में प्रतिदिन आने वाले ड्यूटी के Time के बारे में बताना चाहते हैं कि जब प्रतिदिन जॉब पर जाने का समय आता है, तो उस समय हमारे साथ किस-किस तरह की घटनाएँ घटती हैं। तो आइये इस मजेदार Blog को पढ़ना शुरू करते हैं। 

अन्तिम प्रहर आनन्द बरसे,

          भोर की सुनाई दे पद चाप। 

उठने का जब टाइम आये,

          गहरी नींद में आये ख्वाब। 

दुखी मन से हम सेज तजें,

          ऊंघते हुये मिले सुर ताल। 


अर्थ : कवि इन पंक्तियों के माध्यम से प्रातःकाल ( सुबह का समय ) के बारे में बताते हुए कहते हैं कि रात के आखिरी प्रहर ( रात के 12 बजे के बाद का समय ) में तो खूब आनन्द मय गहरी व मीठी-मीठी नीन्द आती है, और जैसे ही सुबह के समय पक्षियों के चह चहाने की आवाज आती है तो उस समय हमें उठना होता है और वह समय हमारे तैयार होकर जॉब पर जाने का होता है। 

और जब हमारे सुबह उठने का समय आता है, तो उस समय हमें ओर अधिक गहरी नीन्द आने लग जाती है और उस नींद में अच्छे-अच्छे सपने आने लग जाते हैं। 

हमारा सुबह जल्दी उठने का मन नहीं करता परन्तु फिर भी हमें जॉब पर जाने की वजह से सुबह जल्दी उठना पड़ता है, जिसके चलते हम दुःखी मन से ऊँघते हुये बिस्तर को छोड़कर उठने का प्रयास करते हैं। 

Job के समय पर एक सुन्दर सी कविता
Job के समय पर एक सुन्दर सी कविता

प्रातःकाल चार बजे उठकर,

         तैयारी करते हैं हम तमाम। 

जल्द बाजी में निपटने से,

         घर छूट जाते हैं कुछ सामान। 

रूमाल उठाओ चश्मा गिरे,

         चश्मा उठाओ पेन गिरे धड़ाम। 


अर्थ : कवि कहते हैं कि हमें सुबह जल्दी उठकर के जॉब पर जाना होता है तो हम सुबह के चार बजे उठकर के जल्दी जाने के लिए पूरी तैयारी करते हैं। 

और कभी-कभी तो हम लेट हो जाते हैं जिसके चलते हमें जल्दी-जल्दी निमटना होता है और ऐसे में जल्दी-जल्दी निमटने के कारण घर पर हमारे कुछ सामान भी छूट जाते हैं। 

ऐसे में जब हम रूमाल उठाने जाते हैं तो पेन धड़ाम करके जेब से निकलकर नीचे गिर जाता है। अर्थात एक तो हम पहले ही लेट होते हैं और फिर यह सामान हमें ओर अधिक लेट करवा देते हैं। 

चरण पादुका भी मुँह फुलाये,

         हर घटना वसूले हमसे दाम। 

नित्य कर्मों से निपट कर,

         टिप्पन की होती सार सँभाल। 

बोतल से भी संपर्क सधे,

         मोबाइल को लेना हाथों हाथ। 


अर्थ : जब हम तैयार होकर के जॉब पर जाने के लिए निकलने लगते हैं तो उस समय हमें हमारी चपलें या जूते भी नहीं मिलते, जिसके कारण हर तरह की घटनाएँ हमें लेट करवाने में लगी रहती है। 

और जब हम प्रतिदिन कामों ( Daily Routine Work ) को पूरे करके तैयार हो जाते हैं, तो हमारा टिफिन बनने में देरी हो जाती है। 

ऐसे में जॉब पर जाते समय हमें पानी की बोतल को भी लेना होता है और साथ ही साथ मोबाइल को भी लेना होता है। 

मास्क लेना भूल न जायें,

         सेनेटाइजर भी रखना साथ। 

आपाधापी से निपटने में,

         कभी टिप्पन दिखाये आँख। 

पानी की बोतल के नखरे,

         खूँटी पर टंगा इतराये मास्क। 


अर्थ : हमें मास्क और सेनेटाइजर को भी साथ में लेकर जाना होता है क्योंकि यदि हम मास्क को साथ ले जाना भूल गये तो आधे रास्ते में ही या तो ट्रैफिक पुलिस द्वारा हमारा चालान बनाकर हमें रोक लिया जायेगा या फिर कार्यालय ( Office ) में घुसने से पहले ही हमें रोक लिया जायेगा। 

कभी-कभी तो जल्दबाजी में निमटने के कारण हम अपने टिफिन को साथ ले जाना ही भूल जाते हैं। जिसके चलते कभी-कभी तो हमें भूखा ही रहना पड़ जाता है। 

ऐसे में कभी-कभी तो जल्दबाजी के कारण पानी की बोतल भी गुम जाती है, और कभी-कभी तो हेंगर पर टंगा हुआ मास्क भी हेंगर पर ही टंगा रह जाता है। 

कभी लाइट दे जाये धोखा,

         साधन व्यवस्था की छूटे ताप। 

भाग दौड़ कर उनको पकड़ें,

         लेट होने पर खड़ी हो जाये खाट। 

नौकरी निभाना मुश्किल हुआ,

         कोरोना अलग से खाये भाव ।।


अर्थ : कभी-कभी तो सुबह के समय ही लाइट चली जाती है जिसके कारण हमारे सुबह तैयार होने में ओर अधिक समस्या खड़ी हो जाती है, और यदि हमारे पास ऑफिस जाने के लिए खुद का साधन नहीं होता, तो हमें रास्ते में ऑफिस जाने के लिए साधन मिलेगा या नहीं इसकी अलग टेंशन लगी रहती है। 

यदि हमारे पास साधन नहीं होता तो जैसे-तैसे करके हमें भाग दौड़ करके उस साधन को पकड़ना होता है ताकि उस में बैठकर हम ऑफिस जा सकें, और यदि किसी कारण वश  हमें वहाँ पहुँचने में देरी हो गयी तो वहाँ बोस या अन्य बड़ा अधिकारी हमारी खाट खड़ी कर देता है। अर्थात हमें खरी खोटी सुनाने लग जाता है।

Job time-poem in hindi
Job time poem

ऐसे में नौकरी करना मानो पहाड़ तोड़ना जितना मुश्किल हो गया है, और फिर कोरोना अलग से ही व्यक्तियों की जान खाने में लगा रहता है।  

👉 Antim Prahar Aanand Barse,

        Bhor Ki Sunai De Pad Chaap . 

Uthne Ka Jab Time Aaye,

        Gahari Neend Me Aaye Khwab . 

Dukhi Man Se Hum Sez Taze,

        Oonghte Huye Mile Sur Taal . 

Pratahkaal Chaar Baje Uthkar,

        Taiyari Karte Hain Hum Tamam . 

Jald Baazi Me Nipatne Se,

        Ghar Chhoot Jate Hain Kuchh Saman . 

Rumaal Uthao Chashma Gire,

        Chashma Uthao Pen Gire Dhadam . 

Charan Paduka Bhi Muh Fulaye,

        Har Ghatna Vasoole Hum Se Daam . 

Nitya Karmo Se Nipatkar,

        Tippan Ki Hoti Saar Sambhaal . 

Botal Se Bhi Sampark Sadhe,

        Mobile Ko Lena Hatho Haath . 

Mask Lena Bhool Na Jaye,

        Senitizer Bhi Rakhna Saath . 

Aapadhapi Se Nipatne Me,

        Kabhi Tippan Dikhaye Aankh . 

Pani Ki Botal Ke Nakhre,

        Khoonti Par Tanga Itraye Mask . 

Kabhi Lite De Jaye Dhokha,

        Saadhan Vyavastha Ki Chhoote Taap . 

Bhaag Doud Kar Unko Pakde,

        Late Hone Par Khadi Ho Jaye Khaat . 

Noukri Nibhana Mushkil Huaa,

        Corona Alag Se Khaaye Bhaav . 

☝ हमें आशा है कि आपको ऊपर दी गयी कविता को पढ़कर के मजा आया होगा। ☝       

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