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Childrens पर माता-पिता के बनते दबाव पर एक कविता|Pressure on childrens of parents poem in hindi

अपने बच्चों को उड़ने दो,
         उनके हौसलों की उड़ान  

कवि इस कविता बच्चों पर माता-पिता के बनते दबाव पर एक कविता|Pressure on children of parents poem in hindi के माध्यम से बताना चाहते हैं कि किस तरह से माता-पिता अपनी समस्त इच्छाएँ व उम्मीदें अपनी संतान पर थोंप देते हैं जिसके चलते ना तो उनकी संतान ठीक तरह से आजादी के साथ जी सकती है और ना ही अपनी परेशानी के बारे में अपने माता-पिता को को बता सकती है क्योंकि उन्होंने इस कदर से अपने बच्चों पर नियम लागू किये होते हैं कि जिसके चलते उनके बच्चे अपने माता-पिता की किसी भी बात का विरोध नहीं कर सके। चाहे फिर वो बात सही हो या गलत। तो आइये इस Blog को पढ़ना शुरू करते हैं। 

अपने बच्चों को उड़ने दो,

         उनके हौसलों की उड़ान। 

अनुशासन संस्कार सिखावो,

         मत बनाओ बेजुबान। 

अपनी अपेक्षायें मत थोपो,

         बनाओ संस्कार वान। 


अर्थ : कवि इन पंक्तियों के माध्यम से कहते हैं कि हर माता-पिता को उनके बच्चों को स्वतंत्रता के साथ अर्थात बिना रोक-टोक के जीने की आजादी अवश्य देनी चाहिए, और वह अपनी इच्छानुसार अपने हर सपने पूरे कर सके यह आजादी भी हर माता-पिता को अपनी संतान को देनी चाहिए। 

हर माता-पिता को अपने बच्चों को अनुशासन के साथ रहना सिखाना चाहिए, परन्तु इसका मतलब यह नहीं है कि आप उन्हें हर समय डाटते-फटकारते रहे और उनको कभी भी बोलने का हक़ ना दे क्योंकि यदि आप ऐसा करते हैं तो ऐसा करने से बच्चें एक बेजुबान पक्षी या जानवर की तरह बन जाते हैं।         

कवि अंतिम पंक्ति में कहते हैं कि हर माता-पिता को अपनी संतान को अच्छे संस्कार देकर उसे संस्कार वान जरूर बनाना चाहिए, और कभी भी माता-पिता को अपने स्वयं के सपने तथा इच्छाएँ अपनी संतान पर नहीं थोपनी चाहिये। 
Childrens पर माता-पिता के बनते दबाव पर एक कविता

क्षमता से ज्यादा मत पालो,

         अपने दिल में अरमान। 

झूँठी शान और झूँठे अरमान,

         ले लेते हैं बच्चों की जान। 

क्षमतावान नहीं होते तो,

         सागर नहीं लाँघ पाते हनुमान। 


अर्थ : कवि कहते हैं कि कभी भी माता-पिता को अपने दिल में इतने बढ़े सपने नहीं पालने चाहिए कि जिसे उनकी संतान चाहकर भी पूरा ना कर सके। 

हर माता-पिता चाहते हैं कि वह भी दूसरे व्यक्तियों की तरह शान-ओ-शौकत के साथ जिये इसके लिए वह स्वयं तो अपने ऐश-ओ-आराम के साथ जीने के सपनों को पूरा नहीं कर पाते तो फिर वह अपने सपनों को अपने बच्चों के कन्धों पर डाल देते हैं कि अब उन्हें अपने माता-पिता के सपनों को पूरा करना है। अतः माता-पिता के कहे अनुसार बच्चे भी उनके सपनो को पूरा करने की कोशिश में लग जाते हैं और फिर यदि वह किसी कारण वश उन सपनों को पूरा नहीं कर पते तो वह तनाव ( Depression ) में आ जाते हैं और कभी-कभी तो तनाव बढ़ने के कारण वह अपनी जान भी ले लेते हैं। 

जिस प्रकार से हनुमान जी के पास उड़कर समुद्र लाँघने की क्षमता थी। ठीक उसी तरह हर बच्चे के अन्दर कुछ ना कुछ करने की क्षमता होती है जिससे की वह अपना जीवन यापन कर सके। यदि हनुमान जी क्षमतावान नहीं होते तो कहाँ से उस विशालकाय समुद्र को पार कर पाते। उसी प्रकार माँ-बाप को अपने सपनों को बच्चों पर थोपने के बजाय बच्चों को स्वयं के सपने पूरे करने की आजादी देनी चाहिए क्योंकि उनके बच्चे में उसके स्वयं के सपने को पूरा करने की क्षमता भली भाँति है।  

सच्चाई को स्वीकार करो,

         रखो उनकी इच्छा का मान। 

हैसियत और इच्छानुसार,

         पहनने दो उनको परिधान। 

मर्यादा की डोर लाँघे तो,

         अपने हाथ में लो कमान। 


अर्थ : यदि संतान माता-पिता के सपनों को पूरा करने में असमर्थ हो, तो माँ-बाप को इस सच्चाई को स्वीकार कर लेना चाहिए कि उनके बच्चे अपने माता-पिता के सपनों को पूरा नहीं कर पायेंगे, और बच्चों पर ओर अधिक दबाव बनाने के बजाय उनकी इच्छा को सम्मान देना चाहिए तथा उन्हें उनकी इच्छानुसार सपने पूरे करने की आजादी देनी चाहिये। 

माँ-बाप को अपने बच्चों को उनकी इच्छानुसार व हैसियत के अनुसार कपड़े पहनने की आजादी देनी चाहिए ताकि उनके बच्चे किसी तरह की घुटन महसूस नहीं कर सके। 

अंतिम पंक्ति में कवि कहते हैं कि हर माता-पिता को अपनी संतान को इतनी भी छूट नहीं देनी चाहिए कि जिससे वह बिगड़ने की राह पर निकल पड़े। यदि बच्चे बिगड़ने लगे तो तुरन्त माँ-बाप को अपने हाथ में कमान ले लेनी चाहिए और बच्चों को मिलने वाली आजादी में कुछ हद तक रोक लगा देनी चाहिए ताकि वह बिगड़े ना। 

मार्गदर्शन भले ही करो,

         मत दो अनावश्यक ज्ञान। 

अपने बच्चों को उड़ने दो,

         उनके हौसलों की उड़ान। 

वास्तविक योग्यता को परखो,

         उससे ज्यादा मत करो लदान। 


अर्थ : कवि कहते हैं कि हर माता-पिता को अपने बच्चों का मार्गदर्शन जरूर करना चाहिए, परन्तु उन्हें व्यर्थ का अनावश्यक ज्ञान नहीं देना चाहिए। 

बच्चों को उनकी इच्छानुसार जीने दो, ताकि वह अपने सपनों की उड़ान भर सके। 

हर माता-पिता को उनकी संतान की जो भी वास्तविक योग्यता हो उसका पता जरूर लगाना चाहिए और कभी भी बच्चों से उनकी योग्यता के विरुद्ध तथा उससे ज्यादा कार्य नहीं करवाना चाहिए।

Childrens पर माता-पिता का बनता दबाव
Childrens पर माता-पिता का बनता दबाव

चक्रव्यूह में घुसने की क्षमता थी,

         बाहर निकलने की कला से अनजान। 

परिजनों ने दाँव खेल दिया,

         अभिमन्यु के छूटे प्राण। 

गला काट प्रतिस्पर्धा से बचो,

         मत दाँव पर लगाओ नन्हीं जान। 


अर्थ :  कवि कहते हैं कि जिस तरह से अभिमन्यु के पास चक्रव्यूह में घुसने की क्षमता थी परन्तु उसके पास उससे बाहर निकलने का ज्ञान नहीं था जिसके कारण वह मारा गया। ठीक उसी तरह हर माता-पिता को अपनी संतान को संसार से जुड़ा पूर्ण ज्ञान देना चाहिए कभी भी किसी भी चीज का आधा अधूरा ज्ञान किसी को भी नहीं देना चाहिए। क्योंकि आधा अधूरा ज्ञान, ज्ञान नहीं पाने से भी ज्यादा हानिकारक होता है। 

जिस तरह से अभिमन्यु के पास चक्रव्यूह से बाहर निकलने का ज्ञान नहीं था जिसके चलते उसके सघे सम्बन्धियों ने फायदा उठाकर उसे मृत्यु के घाट उतार दिया। ठीक उसी तरह से यदि बच्चों के पास किसी भी चीज का पूर्ण ज्ञान नहीं होगा तो उसका कोई अपना ही उसका फायदा उठा लेगा। अतः बच्चों को जिस भी चीज के बारे में बतायें तो पूरी बात बताए। 

कभी भी माता-पिता को अपनी संतान को उस क्षेत्र में नहीं भेजना चाहिए जिसमें गला काट प्रतिस्पर्धा हो। अर्थात Very High Competition हो क्योंकि इन क्षेत्रों में सफलता मिलने की उम्मीदें लगभग ना के बराबर होती हैं। फिर ऐसे में बच्चों को यदि उनके कार्यों में सफलता नहीं मिलती तो वह खुद की ही जान ले लेते हैं। 

अगर क्षमता है तो आगे बढ़ाओ,

         ना होगा कोई नुकसान। 

मन में झूँठा वहम मत पालो,

         सफल हो जायेगी सन्तान। 

बालकों की नैसर्गिक प्रतिभा की,

         भली भाँति करो पहचान। 

अपने बच्चों को उड़ने दो,

         उनके हौसलों की उड़ान। 

अपने बच्चों को उड़ने दो,

         उनके हौसलों की उड़ान ।।


अर्थ : यदि माता-पिता को लगता है कि उनकी संतान में उनके सपनों को पूरे करने  की क्षमता है तो फिर उन्हें अपनी संतान से उनके सपनों को पूरा करने के बारे में जरूर कहना चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से उनके बच्चे भी बिना अधिक दबाव के अपने माँ-बाप के सपनों को पूर्ण कर पायेंगे और माता-पिता को उस कार्य में कोई नुकसान भी नहीं झेलना पड़ेगा। 

यदि माता-पिता को लगता है कि उनके बच्चे उनके सपनों को पूर्ण करने के काबिल नहीं है तो माता-पिता को इस बात को लेकर कभी भी अपने मन में झूठा वहम नहीं पालना चाहिए कि उनके हर सपनों को उनके बच्चे पूरा कर सकते हैं, ऐसा करने से बच्चों का जीवन बच्चों का जीवन भी दबाव मुक्त बन जाएगा और खुद को भी किसी तरह की कोई चिंता नहीं लगी रहेगी। 

हर बच्चे के अंदर कुछ ना कुछ प्रतिभा ( Talent ) होती है, तो हर माँ-बाप को अपने बच्चों की प्रतिभा की पहचान कर उन्हें उस दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित ( Motivate ) करना चाहिए। 

तब अंतिम दो पंक्तियों में कवि कहते हैं कि बच्चों को उनकी इच्छानुसार जीने दो, और अपने सपने पूरे करने दो। 

बच्चों को उनकी इच्छानुसार जीने दो, और अपने सपने पूरे करने दो।। 

👉 Apne Bachchon Ko Udne Do,

          Unke Houslon Ki Udaan .  

Anushasan Sanskar Sikhavo,

          Mat Banao Bejuban . 

Apni Apexayen Mat Thopo,

          Banao Sanskar Waan . 

Shamta Se Jyada Mat Paalo,

          Apne Dil Me Arman . 

Jhoonthi Shaan Aur Jhoonthe Arman,

          Le Lete Hain Bachchon Ki Jaan . 

Shamtawan Nahi Hote To,

          Sagar Nahi Langh Paate Hanuman . 

Sachchai Ko Sweekar Karo,

          Rakho Unki Ichchha Ka Maan,

Haisiyat Aur Ichchhanusar,

          Pahanne Do Unko Paridhan . 

Maryada Ki Dor Laanghe To,

          Apne Haath Me Lo Kaman . 

Margdarshan Bhale Hi Karo,

          Mat Do Anavshyak Gyan . 

Apne Bachchon Ko Udne Do,

          Unke Houslon Ki Udaan .  

Vastavik Yogyata Ko Parkho,

          Usse Jyada Mat Karo ladaan . 

Chakravyuh Me Ghusne Ki Shamta Thi,

          Bahar Nikalne Ki Kala Se Anjan . 

Parijano Ne Daav Khel Diya,

          Abhimanyu Ke Chhoote Praan . 

Gala Kaat Pratispardha Se Bacho,

          Mat Daav Par Lagao Nanhee Jaan . 

Agar Shamta Hai To Aage Badhao,

          Na Hoga Koi Nuksan . 

Man Me Jhoontha Waham Mat Palo,

          Safal Ho Jayegi Santan . 

Balkon Ki Naisargik Pratibha Ki,

          Bhali Bhanti Karo Pahachan . 

Apne Bachchon Ko Udne Do,

          Unke Houslon Ki Udaan . 

Apne Bachchon Ko Udne Do,

          Unke Houslon Ki Udaan ..


👆 हमें आशा है कि आपको ऊपर दी गयी कविता को पढ़कर के अच्छा लगा होगा। अतः इस कविता से यही निष्कर्ष निकलता है कि हर माता-पिता को अपने बच्चों को यह आजादी जरूर देनी चाहिए कि वह अपनी इच्छानुसार अपने सपनों को पूरा कर सके तथा कभी भी माता-पिता को अपनी समस्त इच्छाएँ व सपने अपने बच्चों पर नहीं थोपने चाहिए क्योंकि ऐसा करने से बच्चों पर दबाव बनने लगता है जिसके कारण उनके बच्चे एक घुटन भरी जिन्दगी जीने पर विवश हो जाते हैं। 👆                                  

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